BHU: पीएचडी छात्रों ने फूंका विश्वविद्यालय प्रशासन का पुतला

छात्रों ने परिसर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर की जमकर नारेबाजी

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता, परिसर में हरे पेड़ों की धड़ल्ले से कटाई समेत विभिन्न मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे छात्रों ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने बीएचयू प्रशासन और परीक्षा नियंता का पुतला फूंका. इस दौरान छात्रों ने जमकर प्रशासन विरोधी नारेबाजी की और भविष्य के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया.

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गौरतलब है कि छात्र 19 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. परीक्षा नियंता कार्यालय पर 17 दिन तक धरना के बाद भी प्रशासन ने छात्रों की सुनवाई नही की तो गुरूवार से उन्होंने केंद्रीय कार्यालय के सामने आमरण अनशन शुरू कर दिया है. छात्रों का कहना है कि हम पिछले 17 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे थे, तमाम बैठकें हुईं लेकिन समस्या का समाधान नही निकल सका. बाध्य होकर हम लोगों ने आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया. अभी तक किसी भी संबंधित अधिकारी द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गई. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई तो आमरण अनशन जारी रहेगा. जब तक एडमिशन का नोटिफिकेशन जारी नहीं होगा आंदोलन करते रहेंगे.

एक पखवारे से अधिक दिन से छात्र कर रहे आंदोलन

बीएचयू में पीएचडी में प्रवेश समेत अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते छात्रों को एक पखवारे से अधिक दिन हो गये. गुरुवार को छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया था. उन्होंने परीक्षा नियंत्रक कार्यालय का घेराव करने के साथ ही जमकर नारेबाजी की. इसके बाद छात्र आमरण अनशन पर बैठे. उनका कहना है कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया सत्र 2023-24 अभी तक पूर्ण नहीं हो पाई है. ऐसी स्थिति के लिए दोषी के खिलाफ कार्रवाई की वजाय छात्रों को परेशान किया जा रहा हैं. धमकियां दी जा रही हैं.

नेट उत्तीर्ण छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया में मौका नहीं दिया

छात्रों का कहना है कि वह एक साल से इंतजार कर रहे हैं. दिसंबर 2023 में नेट उत्तीर्ण विद्यार्थियों को पिछली प्रवेश प्रक्रिया में मौका नहीं दिया गया. अब आने वाली प्रवेश प्रक्रिया में भी उन छात्रों को रोके जाने की बात कही गई है. इससे छात्रों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. प्रशासन की मनमानी का नतीजा है कि विश्वविद्यालय में शिक्षा के लिए आए छात्रों को आमरण अनशन करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि गुरूवार को दर्जनों छात्र केन्द्रीय कार्यालय पहुंचे थे. कार्यालय के बाहर बैनर पोस्टर लेकर पहुंचे थे छात्रों ने जमकर नारेबाजी की. छात्र अपने हाथों में महात्मा गांधी की तस्वीर लिये थे. छात्रों के विरोध को देखते हुए प्राक्टोरियल बोर्ड के टीम के उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन छात्र वहीं धरने पर बैठ गए थे.

मीटिंग में भी नहीं निकला कोई निर्णय

आपको बता दें कि धरने पर बैठे छात्रों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन की कई बैठक हुई लेकिन कोई भी हल नही निकल सका. छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय हमें गुमराह कर रहा है. वह सिर्फ आश्वासन देकर हमारा धरना समाप्त करने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक दाखिले की नोटिफिकेशन नहीं आ जाएगी तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा. इसके बाद भी प्रशासन नही माना तो वह आंदोलन को तेज करेंगे. जरूरत पड़ी को अदालत का भी दरवाजा खटखटाएंगे. छात्र दिव्यांश दुबे ने बताया कि दिसंबर-2023 में नेट में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को पीएचडी प्रवेश में वरीयता देने समेत विभिन्न मांगों को लेकर आमरण अनशन प्रारंभ कर चुके हैं, लेकिन हमारी बातें नही सुनी जा रही हैं. मीटिंग में फैसले नही लिए जाते बस हमलोगों को धरना समाप्त करने को कहा जाता है. उधर, छात्रों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए केंद्रीय कार्यालय के आसपास प्राक्टोरियल बोर्ड की टीम तैनात की गई है. छात्र धरना देने के साथ वहीं पढ़ाई भी कर रहे हैं.

यह है छात्रों की प्रमुख मांग

-दिसम्बर 2023 सत्र के प्रवेश प्रक्रिया को अविलंब शुरू किया जाय.
-मनमाने तरीके से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों पर की जा रही कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से रोका जाय.
-गुणवत्तापूर्ण शोध के लिये छात्रावासों में शोधार्थियों को सिंगल कमरे का आवंटन किया जाय.
-विश्वविद्यालय परिसर में अप्रत्याशित ढंग से पेड़ों की कटाई पर रोक लगाएं.

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