भाजपा है सबसे ज्यादा पैसे वाली पार्टी
भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे अमीर(richest ) राजनीतिक पार्टी हो गई है। सबसे अमीर का मतलब इतना अमीर कि 2016-17 में भाजपा को जितना पैसा मिला, उतना कुल मिलाकर बाकी सात राष्ट्रीय पार्टियों को मिला है। इसका मोटे तौर पर मतलब ये हुआ कि भाजपा चाहे तो बाकी सातों राष्ट्र पार्टियों को एक झटके में खरीद सकती है।
बीजेपी के पास 2015-16 में 570 करोड़ रुपये थे
एकाध विधायक सांसद तो मामूली बात है।जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी का चुनावी घोड़ा सरपट दौड़ रहा है और दो विधायक जितवाकर भी पार्टी राज्य में सरकार बनवा ले रही है, उसके पीछे की ताकत को इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। चुनाव आयोग में पार्टियों द्वारा जमा की गई सालाना ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के पास 2015-16 में 570 करोड़ रुपये थे जो 2016-17 में बढ़कर 1034 करोड़ हो गए यानी यह उछाल एक साल में 81 फीसदी की रही।
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बीती 8 फरवरी को आयोग में जमा बीजेपी की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 में पार्टी को जितनी आमद हुई है, वह खुद बीजेपी सहित सातों राष्ट्रीय पार्टियों की 2015-16 की कुल आमद के बराबर है (1033 करोड़ रुपये)। सारी पार्टियों की कुल आय 2016-17 में 1559 करोड़ है। इसका दो-तिहाई अकेले बीजेपी के पास है। इसका मतलब यह हुआ कि बीजेपी ने 2016-17 मे बाकी छह राष्ट्रीय दलों (कांग्रेस, बसपा, तृणमूल, सीपीएम, सीपीआइ और एनसीपी) की सम्मिलित कमाई का दोगुना अकेले कमा लिया।कांग्रेस ने 2004-05 से 2013-14 यानी दस साल के राज में जितना कमाया था, उससे बीजेपी की कमाई कहीं ज्यादा है।
आखिरी साल तक आते-आते 39 फीसदी तक गिर गई
यूपीए-1 के पहले साल में कांग्रेस की कुल कमाई में हिस्सेदारी 58 फीसदी तक पहुंच गई थी जो यूपीए-2 के आखिरी साल तक आते-आते 39 फीसदी तक गिर गई। उसी साल 2013-14 में बीजेपी का सभी दलों की कमाई में हिस्सा कांग्रेस से ज्यादा 44 फीसदी था।बीजेपी की कमाई का 997 करोड़ स्वैच्छिक योगदानों से आया है। इसमें भी 533 करोड़ 20,000 से ज्यादा के योगदानों से मिलकर बना है।
बीजेपी का कुल व्यय 710 करोड़ था यानी उसके पास अब भी 324 करोड़ बच रहे थे। कांग्रेस की 2016-17 में 225 करोड़ की कमाई रही। यानी खर्च करने के बाद बीजेपी के पास जितना बचा, वह भी कांग्रेस की कुल सालाना कमाई से 100 करोड़ ज्यादा था।वित्त वर्ष 2016-17 में सबसे कम कमाई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) की रही। एक साल पहले सीपीआइ की आय 10 करोड़ थी तो गिरकर महज दो करोड़ रह गई है।
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