आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा : स्वामी

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भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को कहा कि आधार को अनिवार्य रुप से जोड़ना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरा सिद्ध हो सकता है।स्वामी ने विश्वास जताया कि सर्वोच्च न्यायालय सरकार द्वारा विभिन्न सेवाओं को हासिल करने के लिए आधार को अनिवार्य करने के निर्देशों को रद्द करेगी।

स्वामी ने एक ट्वीट में कहा, “मैं जल्द ही प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखने वाला हूं जिसमें यह विवरण दिया जाएगा कि कैसे आधार को अनिवार्य करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है। मुझे विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय इस फैसले पर रोक लगाएगा.”सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि पांच न्यायाधीशों वाली एक संविधान पीठ आधार कानून को निजता के अधिकार का उल्लंघन और अनुचित रूप से दखल देने के आधार पर चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं की सुनवाई करेगी।

मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वीई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि सरकार के इस कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नवंबर के आखिरी सप्ताह में होगी।

आधार पर ममता की याचिका 

सुप्रीम कोर्ट ने आधार अनिवार्य करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा याचिका दायर करने पर सोमवार को उसे आड़े हाथों लिया। सुनवाई शुरू होते ही आश्चर्य के साथ पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से जानना चाहा कि राज्य ऐसी याचिका कैसे दायर कर सकता है।

अंतिम सप्ताह में इस पर सुनवाई शुरू करेगी

सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए आधार की अनिवार्यता के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच का गठन किया जाएगा। सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को कहा कि संविधान पीठ नवंबर के अंतिम सप्ताह में इस पर सुनवाई शुरू करेगी।

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई. चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के सामने अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सोमवार को कहा कि केंद्र इस मामले में बहस के लिये तैयार है। अब इस मामले में उनका पक्ष सुने बगैर किसी अन्य अंतरिम आदेश की आवश्यकता नहीं है।

यह विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक कृत्य है

केंद्र ने यह भी बताया कि तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार जोड़ने की अनिवार्यता की आखिरी तारीख 31 मार्च, 2018 कर दी गई है। यह प्रावधान उनके लिए किया गया है, जिनके पास अब भी आधार नंबर नहीं है।वहीं, याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले आधार मामले में कई आदेश दिए थे और कहा था कि यह विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक कृत्य है।

मामला संविधान पीठ को भेजने की बात कही

कोई भी नागरिक सरकार की योजनाओं का लाभ पाने के लिये यह कार्ड रखने को बाध्य नहीं होगा। महाराष्ट्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुन्दरम ने कहा कि जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई करके इस पर फैसला किया जाना चाहिए। यह दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मामला संविधान पीठ को भेजने की बात कही।

इससे निजता के अधिकार का हनन होता है

नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने एक फैसले में कहा था कि निजता का अधिकार संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार है। वहीं, आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं में दावा किया था कि इससे निजता के अधिकार का हनन होता है।

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