सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश रोकने को कहा, पैनल 6…
सिनेमा हॉल में फिल्म दिखाने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजाने पर केंद्र सरकार ने अपना स्टैंड बदल दिया है। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे (सुप्रीम कोर्ट) अपने उस आदेश में बदलाव करना चाहिए जिसमें सर्वोच्च अदालत ने सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने को अनिवार्य किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि इंटर मिनिस्ट्रियल कमिटी का गठन किया गया है ताकि वह नई गाइडलाइंस तैयार कर सके।
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गौरतलब है कि नवंबर 2016 के इस फैसले के समर्थन में आने के केंद्र के रुख का कई कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था। फैसले के करीब एक साल बाद आदेश को लागू किया अदालत को बताया गया कि जैसे ही पैनल की सिफारिश आएगी, उसके बाद इस मामले में आगे का फैसला लिया जाएगा। कमिटी का गठन 5 दिसंबर को किया गया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई मंगलवार को करेगी। केंद्र ने अपील की है कि जब तक कमिटी की रिपोर्ट नहीं आती है तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अंतरिम बदलाव हो।
मामले में दिए फैसले की समीक्षा कर सकता है
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह राष्ट्रगान को लेकर गाइडलाइंस क्यों नहीं बनाती है? सुप्रीम कोर्ट ने 23 अक्टूबर को कहा था कि राष्ट्रगान नहीं गाने को राष्ट्र विरोधी नहीं कहा जा सकता है। देशभक्ति दिखाने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि देशभक्ति के लिए बांह में पट्टा लगाकर दिखाने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान राष्ट्रगान मामले में तब नया मोड़ आ गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह 2016 में राष्ट्रगान मामले में दिए फैसले की समीक्षा कर सकता है।
स्कूल के पाठ्यक्रम में राष्ट्रगान गाने की अनिवार्यता को शामिल क्यों नहीं…
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा और लोग खड़े होंगे। केंद्र ने नवंबर 2016 के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया था, ऐसे में केंद्र का नया स्टैंड वाकई चौंकाने वाला है। तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तब सुप्रीम कोर्ट से कड़ा आदेश देने की पुरजोर वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि इस बात पर बहस शुरू होनी चाहिए कि स्कूल के पाठ्यक्रम में राष्ट्रगान गाने की अनिवार्यता को शामिल क्यों नहीं किया जा सकता है।
केंद्र के स्टैंड बदलने की वजह?
दरअसल, राष्ट्रगान को अनिवार्य करने के केंद्र के निर्देश के बाद कई घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें भीड़ ने किसी कारण से खड़े नहीं होने पर लोगों को पीट दिया था। कुछ ऐसी भी घटनाएं सामने आईं, जिसमें शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति राष्ट्रगान के समय सिनेमा हॉल में खड़ा नहीं हो सका और भीड़ ने उसकी पिटाई कर दी। एक-दो लोगों को नहीं पूरे परिवार को ही हॉल से बाहर कर दिया गया। गृह मंत्रालय (MHA) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नई गाइडलाइंस तैयार की जाएगी, इसके लिए समय चाहिए। इससे पहले SC ने देश के सभी सिनेमा हॉल्स में फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि स्क्रीन पर राष्ट्र-ध्वज दिखाया जाएगा और फिल्म देखने वाले खड़े होकर उसका सम्मान करेंगे। इसी दौरान राष्ट्रगान बजेगा।
(nbt)
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