शबनम को फांसी : निर्भया मामले की तरह कानूनी दांव-पेच अब भी बाकी, राष्ट्रपति को भेजी दूसरी दया याचिका…
साल 2008 के अप्रैल में अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए मौत की सजा पाने वाली शबनम ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास एक नई दया याचिका भेजी है।
महानिदेशक (जेल विभाग और सुधार सेवाएं) आनंद कुमार के अनुसार, शबनम पहले भी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल से माफी मांग चुकी हैं, लेकिन पटेल ने उनकी याचिका खारिज कर दी थीं।
दया याचिका भेजने के लिए राजी-
रामपुर के जेल अधीक्षक ने कहा, “25 मई, 2015 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई मौत की सजा के संबंध में शबनम ने अपने वकील के माध्यम से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को भेजी गई दया याचिका की एक प्रति को हमारे कार्यालय में उपलब्ध कराया था।”
सूत्रों ने कहा कि दो वकीलों ने शुक्रवार को रामपुर जेल में शबनम से मुलाकात कर उसे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को एक दया याचिका भेजने के लिए राजी कराया।
राष्ट्रपति और राज्यपाल को भेजी गई दूसरी याचिका के बारे में पुष्टि करते हुए शबनम की वकील श्रेया रस्तोगी ने एक प्रेस रिलीज में दावा किया कि शबनम के पास बाकी बचे समाधानों के बारे में समाचार रिपोर्टों में सही जानकारी दी जानी चाहिए, जिसकी वैधानिक स्थिति भी सही हो।
शबनम के पास हैं कई संवैधानिक उपाय-
उन्होंने इस प्रेस रिलीज में कहा, “शबनम के पास कई संवैधानिक उपाय हैं, जिन्हें अपनाया जाना अभी बाकी है। इनमें विभिन्न आधारों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती देने के अधिकार शामिल हैं। उनके पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का भी अधिकार है।”
शबनम के 12 साल के बेटे ने अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर देश के राष्ट्रपति से अपील की थी, उनकी मां की दया याचिका पर एक बार फिर से विचार किया जाए और इसी के मद्देनजर मसले पर आगे का विकास जारी है।
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