250 साल बाद कब्जा मुक्त हुआ बरेली का श्री गंगा महारानी मंदिर …
संभल में 48 साल से बंद पड़े मंदिर को खोले जाने के बाद से प्रदेश में गुमनाम मंदिरों की तलाश शुरू कर दी गयी है. इसके तहत आज बरेली में करीब 250 सालों से बंद श्री गंगा महारानी मंदिर को मुस्लिमों के कब्जे से मुक्त कराया गया है. इसके बाद हिन्दू धर्म के लोगों ने मंदिर पर भगवा ध्वज फहराया है. बताया जा रहा है कि, मंदिर की जगह पर सालों से वाजिद अली नाम शख्स ने कब्जा कर रखा था. यहां पर वह अपने परिवार के साथ रह रहा था. ऐसे में जब इस मंदिर को लेकर खोजबीन शुरू की गई तो, हिन्दू पक्ष द्वारा दस्तावेज सौंपे गए, वहीं वाजिद कोई कागजात नहीं दिखा पाया. ऐसे में भारी पुलिस की मदद से मंदिर को कब्जा मुक्त करा लिया गया है.
हिन्दू पक्ष के लोगों का कहना है कि मंदिर में रखी गई मूर्तियों को हटा दिया गया था. हिंदू संगठन के पदाधिकारी अब मंदिर में गोमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करेंगे. साथ ही मंदिर में फिर से श्री गंगा महारानी की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी. यह मंदिर काफी प्राचीन है और लगभग 250 साल पुराना बताया जा रहा है. श्री गंगा जी महारानी मंदिर के स्वामित्व दावेदार और शिकायतकर्ता राकेश सिंह ने बताया कि, उनके पूर्वज लक्ष्मण सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करीब 250 वर्ष पहले किया था.
मुस्लिम पक्ष ने कैसे किया कब्जा…
इस मंदिर को लेकर राकेश सिंह बताते है कि साल 1905 में इस जमीन को मंदिर के नाम पर खरीदा गया था, जिसके बाद डॉली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति लिमिटेड ने इसके दो कमरे किराए पर लिए थे. इसके बाद सोसायटी पर पक्की बिल्डिंग तैयार होने के बाद उन्होंने यह कमरे खाली कर दिए. इसी दौरान सोसायटी की आड़ में चौकीदार वाजिद ने कमरें खाली नहीं किए और अपने परिवार के साथ यहां पर रहता रहा. वहीं डॉली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति सचिव विकास शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा नोटिस चस्पा कर दिया गया है और अब उनका मंदिर से कोई लेना देना नहीं है.
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मुस्लिम पक्ष नहीं दिखा सका दस्तावेज
हिंदू पक्ष ने अपनी शिकायत में बताया कि डॉली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति लिमिटेड का कार्यालय और वाजिद व उसके बेटों ने बोर्ड की आड़ में मंदिर भवन पर कब्जा कर लिया है. शिकायत के बाद जिला प्रशासन की टीम हरकत में आई और दोनों पक्षों से मंदिर के दस्तावेज़ मांगे गए. इसमें हिंदू पक्ष ने कागजात दिखाए, जबकि वाजिद कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर सका.
जिला प्रशासन की टीम ने शुक्रवार को मौके पर पहुंचकर वाजिद को मंदिर से कब्जा हटाने के लिए एक घंटे का समय दिया. तत्परता से वाजिद का सामान निकालकर मंदिर को कब्जे से मुक्त करा लिया गया. हिंदू पक्ष का आरोप था कि वाजिद अपने परिवार के साथ मंदिर पर कब्जा कर रहा था और वहां पूजा-अर्चना करने की अनुमति नहीं देता था. धीरे-धीरे मंदिर की मूर्तियां भी हटा दी गईं थीं. जब जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची, तो उन्होंने वाजिद को वहां से हटा दिया. इस दौरान भारी पुलिस बल भी मौके पर मौजूद था.