शेख हसीना को मंहगा पड़ा जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगाना, छोड़ना पड़ा देश…

बांग्लादेश में हिंसा जारी. हालात बेकाबू

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बांग्लादेश में इस समय हिंसा जारी है. देश में हालात बेकाबू हो गए है. देश में देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार करते हुए आज भारी संख्या में प्रदर्शनकारी इकठ्ठा हुए थे. प्रदर्शनकारी लगातार प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफ़ा मांग रहे थे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच झड़पें शुरू हुईं जिसने देखते ही देखते भीषण हिंसा का रूप ले लिया. कहा जा रहा है कि बांग्लादेश सरकार द्वारा कट्टरपंथी दल जमात-ए-इस्लामी पर लगाए गए बैन के कारण ही छात्रों का यह प्रदर्शन हिंसा में बदल गया.

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पीएम हाउस में घुसे प्रदर्शनकारी…

बता दें कि प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो गए कि सरकारी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया और पीएम आवास में घुस गए. इस दौरान वह मौज मस्ती करते हुए देखे गए. बता दें कि कुछ इसी तरह की तस्वीरें कुछ समय पहले श्रीलंका में देखने को मिली थी. इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीब की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़ा चलाते भी देखा गया.

शेख हसीना ने किया था जमात-ए-इस्लामी को बैन…

बता दें कि हाल ही में शेख हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को बैन कर दिया था. इतना ही नहीं सरकार ने इसकी छात्र शाखा और इसके अन्य संगठनों को भी बैन कर दिया था. बांग्लादेश में कई सप्ताह तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद यह कदम उठाया गया था. कहा जा रहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के बाद ये संगठन शेख हसीना सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए है.

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जमात-ए-इस्लामी क्या है

जमात-ए-इस्लामी एक राजनीतिक पार्टी है, जिसे बांग्लादेश में कट्टरपंथी माना जाता है. यह राजनीतिक पार्टी पूर्व पीएम खालिदा जिया की समर्थक पार्टियों में शामिल है. जमात पर प्रतिबंध लगाने का हालिया निर्णय 1972 में ‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का दुरुपयोग‘ के लिए प्रारंभिक प्रतिबंध के 50 साल बाद लिया गया है. जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 1941 में ब्रिटिश शासन के दौरान अविभाजित भारत में हुई थी. साल 2018 में बांग्लादेश हाईकोर्ट के फैसले का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने जमात का पंजीकरण रद्द कर दिया था. इसके बाद जमात चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गई थी.

हिन्दुओं पर हमले में शामिल रहा है जमात-ए-इस्लामी

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी का नाम बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमला करने में भी आता है. मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जमात-ए-इस्लामी और छात्र शिविर लगातार बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाते रहे हैं. एक रिपोर्ट में पता चला है कि साल 2013 से 2022 तक बांग्लादेश में हिन्दुओं पर 3600 हमले हुए हैं. इसमें जमात-ए-इस्लामी का कई घटनाओं में रोल रहा है.

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