बनारसः कोढ़ में खाज बना जाम, अतिक्रमण तो जागा पुलिस प्रशासन
आटो और टोटो चालक बने काशी के जाम की सबसे बड़ी मुसीबत
वाराणसी में लम्बे समय से जाम का झाम जब कोढ़ में खाज बन गया तो पुलिस प्रशासन की तंद्रा टूटी है. बारिश के दौरान जगह-जगह धंसती सड़कों और अतिक्रमण ने राहगीरों का पैदल चलना भी मुहाल कर दिया है. ऐसे में सावन का महीना और काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आनेवाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनजर खुद पुलिस कमिश्नर को सड़कों पर उतरना पड़ा. इसके अलावा विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा सड़कों की खुदाई के कारण बने गड्ढों के प्रति भी पुलिस कमिश्नर ने गंभीरता दिखाई है. उन्होंने पीडब्ल्यूडी समेत विभिन्न विभागों और ठेकेदारों को निर्देश दिया है कि सड़कों की खुदाई से पहले इसकी सूचना पुलिस प्रशासन को देनी होगी.
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पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कहा है कि विकास या मरम्मत कार्य के लिए सड़क पर गड्ढा खोदने से पहले पुलिस को सूचना देनी होगी. ऐसा न करने वाले विभाग या उससे जुड़े ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों मंडुवाडीह-भिखारीपुर मार्ग पर बिना किसी सूचना के पीडब्ल्यूडी के कार्य के लिए गड्ढा खोद दिया गया था. इसके कारण मार्ग पर दिन भर जाम लगा रहा. राहगीरों और स्कूली बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. जाम में मरीज को लेकर अस्पताल जानेवाली एम्बुलेंस भी फंसी रही. यदि सड़क खुदाई की पुलिस प्रशासन को पूर्व में सूचना दी गई होती तो उसका बैकल्पिक प्रबंध किया गया होता. ऐसी समस्या फिर न हो सकेे इसलिए सड़क पर होने वाले किसी तरह के कार्य की जानकारी कार्यदायी संस्था या ठेकेदार की ओर से स्थानीय पुलिस को देनी होगी. अन्यथा वह कार्रवाई के लिए तैयार रहें.
बनती रही योजनाएं, लगता रहा जाम
शहर को जाम से मुक्ति के लिए दशकों से योजनाएं बनती रही. कई फ्लाईओर बने और सड़कों का चौड़ीकरण किया गया. यह प्रक्रिया अभी जारी है. लेकिन हालत यह है कि ‘जैसे-जैसे दवा की मर्ज बढ़ता गया‘ की स्थिति है. जाम और विकट होता जा रहा है. इसकी कई वजहें हैं. सड़कों की पटरियों पर स्थायी और अस्थायी दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है. इसके अलावा वाहन बेतरतीब ढंग से सड़क पर खड़े कर दिये जाते हैं. पुलिस का अतिक्रमण हटाओ कार्यक्रम महज अभियान तक सीमित रहता है. फिर दुकानदार सड़कें घेर लेते हैं. अतिक्रमण हटानेवाली पुलिस के सामने ही कब्जे का खेल जारी है. उधर, शुक्रवार को सावन में आनेवाले श्रद्धालुओं के मद्देनजर पुलिस कमिश्नर खुद सड़कों पर उतरे. उनके निर्देश पर पुलिस ने कोतवाली थाना क्षेत्र के मैदागिन, बुलानाला, चौक, बांसफाटक, गोदौलिया चौराहा तक अभियान चलाया. अतिक्रमणकारी खदेड़े गये और उन्हें हिदायत दी गई. लेकिन अस्सी चौराहे से घाट की ओर जबर्दस्त अतिक्रमण बना हुआ है. यही हाल प्रहलाद घाट से भैंसासुर घाट का भी है.
टोटो और आटो चालक बने सबसे बड़ी मुसीबत
शहर के प्रमुख स्थानों कैंट, वाराणसी सिटी स्टेशन, गिरजाघर से बेनिया तिराहा, भेलूपुर से रामापुरा रोड, रथयात्रा. सिगरा, कबीरचौरा से मैदागिन, अस्सी चौराहा से घाट रोड में सबसे अधिक जाम रहता है. शहर की आबादी वैसे ही बढ़ती जा रही है और स्थानीय लोगों के पास वाहनों की कमी नही है. बाहर से काशी आनेवाले यात्रियों, तीर्थयात्रिें के सैकड़ों वाहन भी होते हैं. ऐसे में हजारों की संख्या में टोटो और आटो सड़कों पर बेतरतीब ढंग से तीन-तीन लाईन लगाकर चलते रहते हैं. अकेले कैंट स्टेशन पर ही हजारों आटो और टोटो देखे जा सकते हैं. इसके अलावा रोडवेज की बसें भी सवारियों के लिए रेंगती दिखाई दे जाती है. हालत यह रहती है कि मोटरसाइकिल सवार भी आसानी से निकल नही पाते. एम्बुलेंस भी फंसे रह जाते हैं. सवाल यह है कि आटो और टोटो के लिए परमिट जारी होती है और पुलिस पर यातायात संचालन की जिम्मेदारी है. इन दोनों विभागों के बीच कोई तालमेल नही दिखता. बिना परमिट के सवारी वाहनों की भरमार ने यातायात व्यवस्था को ध्वस्त करके रख दिया है. इस पर आजतक कभी गंभीरता से मंथन नही किया गया और शहर जाम से कभी मुक्त नही हो सका. कहते हैं कि सवारी वाहन चालकों से ‘सुविधा शुल्क‘ के चक्कर ने काशी के यातायात व्यवस्था को ध्वस्त करके रख दिया है.