कॉन्वेंट स्कूलों में धार्मिक चिन्हों पर रोक, तिलक लगाने पर प्रताड़ित हो रहें छात्र, जानिए क्या कहता है कानून
आमतौर पर लोग अपने बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के लिए अच्छे से अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं। जहां बच्चे किताबी ज्ञान के साथ-साथ समाज में उठने-बैठने से लेकर कई अच्छी आदतें भी सीखते हैं। मौजूदा समय में बच्चों का पढ़ाने के लिए अभिभावकों की पहली पसंद बनते जा रहें कॉन्वेंट स्कूलों में धार्मिक प्रतीकों पर रोक लगाई जा रही है। कॉन्वेंट स्कूल यानी मिशनरी स्कूल छात्रों को धार्मिक प्रतीकों को पहनने पर प्रताड़ित कर रहे हैं।
कॉन्वेंट स्कूलों में धार्मिक चिन्हों की रोक
इस साल कॉन्वेंट स्कूलों में धार्मिक चिन्हों को लेकर काफी विवाद भी उठा है। जबकि देश में स्कूलों में धार्मिक चिन्हों को पहनने पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगाई है। कानूनी तौर भी स्कूलों में छात्र या छात्राएं धार्मिक प्रतीक के रूप में हाथ में कड़ा-मौली, माथे पर बिंदी या तिलक लगाकर बैठ सकते हैं। इसके बाद भी कुछ कॉन्वेंट स्कूलों में मनमानी के चलते छात्रों को अपमानित कर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। ऐसे में सावन मास में छात्रों द्वारा तिलक लगाकर स्कूल जाने पर स्कूल इसे एक अपराधिक गतिविधि मान रहे हैं, जो कानूनी तौर पर अपराध है।
3 घटनाओं ने कॉन्वेंट स्कूल की खोली पोल
हिंदुओं की आस्था वाले सावन मास में हर तरफ जहां शिव मंदिरों में अभिषेक हो रहा है, लोग माथे में चंदन का तिलक लगा रहे हैं। वहीं कॉन्वेंट स्कूलों में छात्रों के लिए माथे पर तिलक लगाना किसी बड़े अपराध से कम नही है। हाल ही की बात करें तो तीन घटनाओं ने मिशनरी स्कूलों की धार्मिक चिन्हों पर छात्रों को प्रताड़ित करने की वास्तविकता को आधार दे दिया है।
सावन में तिलक लगाने पर छात्र की पिटाई
पहला मामला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में ऐसा ही मामला सामने आया है। 14 जुलाई को यहां अजमेर रोड स्थित सेंट अंसलम स्कूल में तिलक लगाकर आने पर विद्यालय प्रबंधन ने 10 वीं के छात्र किशन माली की बुरी तरह पिटाई कर दी। इसके साथ ही स्कूल ने उसके परिजनों पर टीसी कटवाने और स्कूल से निकालने का भी दबाव बनाया। घटना की जानकारी विद्यार्थी परिषद को लगने के बाद परिजनों के साथ बड़ी संख्या में कार्यकृताओं ने विद्यालय के बाहर जमकर हंगामा खड़ा कर दिया। परिजनों ने बताया कि सावन के चलते बच्चे ने पूजा की थी और तिलक लगाया था।
धनबाद में बिंदी लगाने पर छात्रा प्रताड़ित
इसी तरह की दूसरी घटना झारखंड के धनबाद में भी सामने आई थी। बीती 10 जुलाई को जब एक छात्रा को बिंदी लगाकर स्कूल जाने पर प्रताड़ित किया गया तो उसने आत्महत्या कर ली। इसके बाद कॉन्वेंट स्कूलों में धार्मिक चिन्हों को लेकर विवाद और भी बढ़ गया। दरअसल, 10वीं की छात्रा ने एक दिन पहले माथे पर बिंदी लगाई थी और सुबह बिंदी लगाना भूल गई। छात्रा जल्दी में बिंदी लगाकर ही स्कूल पहुंच गई, जहां शिक्षक और प्रबंधक ने छात्रा को मांसिक तौर पर काफी अपमानित किया था। जिसके बाद घर लौटकर छात्रा ने स्कूल के खिलाफ एक सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड नोट में छात्रा ने बिंदी लगाने पर उसे प्रताड़ित करने की बात बताई और साथ ही शिक्षिका और प्रबंधक को सजा देने की बात भी लिखी थी।
भोपाल में खुलवाए गए छात्रों के हाथ से कलावा
वहीं तीसरी घटना मध्यप्रदेश के भोपाल शहर से सामने आई है। यहां के सीहोर नगर में स्थित अशासकीय सेंट एन्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में छात्रों को तिलक लगाकर स्कूल आने पर उन्हें सजा दी जाती है। यहीं नही स्कूल प्रबंधक ने स्कूल में अध्यन्नरत बच्चों को बिना तिलक लगाए और कलाई पर बिना कलावा बांधे आने का फरमान जारी कर दिया है। इस फरमान के तहत स्कूल में बच्चे माथे पर तिलक और हाथ में कलावा बांधकर नहीं आ सकते हैं। जिसपर अभिभावकों ने इस तुगलकी फरमान का विरोध किया है। दरअसल, इस फरमान के एक दिन पहले कई बच्चों के सिर पर लगे तिलक को मिटाने के बाद ही उन्हें क्लास में बैठने दिया गया था। साथ ही बच्चों के हाथ के कलावे भी खुलवा दिए थे। सीहोर जिले के सेंट एनी स्कूल में पिछले दिनों बच्चों के तिलक और कड़ा पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है।
क्या होते हैं मिशनरी स्कूल
मिशन स्कूल या मिशनरी स्कूल एक धार्मिक स्कूल है जो मूल रूप से ईसाई मिशनरियों द्वारा विकसित और चलाया जाता है । मिशन स्कूल का उपयोग आमतौर पर औपनिवेशिक युग में स्थानीय लोगों के पश्चिमीकरण के प्रयोजनों के लिए किया जाता था।
क्या कहते हैं भारतीय स्कूलों के नियम
स्कूलों में हिजाब को छोड़कर सभी धार्मिक प्रतीकों की अनुमति होगी। इससे पहले, कर्नाटक में भाजपा के एक मंत्री ने कहा था कि अगर लड़कियां सिन्दूर लगाती हैं तो संस्थानों को उन्हें नहीं रोकना चाहिए।” अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने कहा कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और इसलिए, कुछ शैक्षणिक संस्थानों में प्रतिबंध को बरकरार रखा गया है। यह फैसला कोर्ट ने 1 जूलाई 2022 में कर्नाटक हिजाब विवाद के बाद दिय़ा था।
मिशनरी स्कूलों पर भड़के हिंदू संगठन
शनिवार को हिन्दू सगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने मिशनरी स्कूल पहुंचकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हिन्दू संगठन के नेताओं का आरोप है कि स्कूल ईसाइ वाद का समर्थन कर रहा है। साथ ही, हिन्दू बच्चों पर अपने तौर तरीके थोप रहा है। हिन्दू बच्चों को तिलक, कलावा और कड़ा पहनकर आने से मना किया जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, उनका आरोप है कि धार्मिक आधार पर बच्चों को परेशान भी किया जा रहा है। वहीं, मामले को लेकर स्कूल के प्राचार्य बच्चों को कहते है कि भगवान तुम्हारे काम नहीं आएगा। गॉड काम आएगा इसलिए तुम लोग तिलक, कलावा व कड़ा पहनकर स्कूल मत आया करो। जिसे लेकर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं में काफी रोष देखने को मिला है।