[bs-quote quote=”वैशाखी अमावस्या : 23 अप्रैल को पीपल वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से मनोकामना पूर्ण होगी। भगवान शिवजी, श्रीविष्णु जी तथा पीपल वृक्ष की पूजा से कष्ट कटेंगे और खुशहाली मिलेगी।” style=”style-15″ align=”center” author_name=”विमल जैन” author_job=”ज्योतिर्विद्”][/bs-quote]
भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह के तिथि-पर्व की विशेष महिमा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि वैशाख मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि वैशाखी अमावस्या के नाम से जानी जाती है। आज के दिन कुल देवी-देवता एवं शिवपूजा भी कल्याणकारी होती है।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बुधवार, 22 अप्रैल को प्रात: 5 बजकर 38 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन गुरुवार, 23 अप्रैल को प्रातः 7 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार आज अमावस्या तिथि सम्पूर्ण दिन रहेगी। इस तिथि पर स्नान-दान-व्रत करने का विशेष महत्ता है।
ऐसे करें पूजा-अर्चना-
अपनी पारिवारिक परम्परा के अनुसार धार्मिक विधि-विधान से अमावस्या तिथि के पर्व-अनुष्ठान सम्पादित होंगे। पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है। इस दिन पीपल के वृक्ष व भगवान् विष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पीपल वृक्ष की विशेष महिमा-
पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात् 108 बार परिक्रमा करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट-देवी देवता एवं आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए। ब्राह्मण को घर पर निमन्त्रित करके उन्हें भोजन करवाकर सफेद रंग की वस्तुओं का दान जैसे-चावल, दूध, मिश्री, चीनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चाँदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देकर, उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। किसी कारणवश यदि ब्राह्मण को भोजन न करवा सकें तो इस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ नकद द्रव्य देकर पुण्यलाभ प्राप्त करना चाहिए।
आज पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। पीपल वृक्ष पूजा के मन्त्र-ॐ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः। आज के दिन व्रतकर्ता को अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए यथासम्भव गरीबों, असहायों और जरूरतमन्दों की सेवा व सहायता तथा परोपकार के कृत्य अवश्य करने चाहिए। जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हो।
यह भी पढ़ें: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से मिलती है जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली
यह भी पढ़ें: प्रदोष व्रत : शिवजी की कृपा से होती है ऐश्वर्य एवं वैभव की प्राप्ति
[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]