मायावती : मीडिया और भाजपा के लोग ‘कटी पतंग’ ना बने तो अच्छा होगा
मायावती सरकार में हाथी और मूर्तियों और स्मारकों को बनाए जाने वाली मामले में दायर की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने बीएसपी प्रमुख को मूर्तियों पर खर्च हुआ जनता का पैसा लौटाने का आदेश दिया था।
इस मामले में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को ट्वीट किया है। मायावती ने कहा कि मीडिया और भाजपा के लोग कटी पंतग न बने तो बेहतर है। मीडिया इस मामले को तोड़ मरोड़ का पेश ना करे।
मीडिया कृप्या करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे।
माननीय न्यायालय में अपना पक्ष ज़रूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जायेगा। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी मा. न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा। मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है।
— Mayawati (@Mayawati) February 9, 2019
मायावती ने ट्विट में लिखा है कि
“सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल / स्मारक / पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है।”
“मीडिया कृप्या करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे। माननीय न्यायालय में अपना पक्ष ज़रूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जायेगा। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी मा. न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा। मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है।”
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से बीएसपी सुप्रीमो मायावती से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान बनाई गई स्मारकों और मूर्तियों का पैसा लौटाने का आदेश दिया है। 2009 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने ने यह आदेश दिया।
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मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीफ 2 अप्रैल को तय की गई। मायावती के वकील ने मामले की सुनवाई मई के बाद करने की अपील की, लेकिन कोर्ट ने यह अनुरोध स्वीकार नहीं किया।मूर्तियों पर जनता के पैसे खर्च होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 2009 में जनहित याचिका दी गई थी।
लगभग 10 साल पुरानी इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया तो बीएसपी प्रमुख को मूर्तियों पर खर्च किया गया जनता का पैसा लौटाना होगा। उन्हें यह पैसा वापस लौटाना चाहिए।’ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 अप्रैल की तारीख तय की जाती है।
रविकांत ने 2009 में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई में वक्त लगेगा, इसलिए इसे अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पर्यावरण को लेकर व्यक्त की गई चिंता को देखते हुए इस मामले में अनेक अंतरिम आदेश और निर्देश दिए थे।
निर्वाचन आयोग को भी निर्देश दिए गए थे कि चुनाव के दौरान इन हाथियों को ढंका जाये। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मायावती, जो उस समय प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं का महिमामंडन करने के इरादे से इन मूर्तियों के निर्माण पर 2008-09 के दौरान सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं।
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