शिव बारात संग होली के रंगों से सराबोर होगी बाबा की नगरी “काशी”
वाराणासी: बाबा की नगरी काशी ( KASHI ) आठ मार्च शिवरात्रि (MAHASHIVRATRI ) से होली के रंगों से सराबोर होने लगेगी. फागुनी बयार संग फागुन मास पर्यंत यहां की फिजां में गुलाबी रंग व गुलाब की महक घुल जाती है. इसका श्रीगणेश इस साल शिवरात्रि से हो जाएगा. ऐसे तो फागुन के महीने की फगुनाहट पूरे देश में हिलोरें मारती हैं, लेकिन काशी में आकर उसे जैसे एक ठहराव मिल जाता है. बाबा भोलेनाथ और मां गौरा के विवाह की वर्षगांठ को यहां की उत्सव प्रिय जनता अपने तरीके व अपनी मस्ती के अंदाज में मनाती है.
1983 से जारी है बारात का सिलसिला
इसी लिए यहां का शिवरात्रि पर्व अन्यत्र से अद्भुत एवं अविस्मरणीय है. इस दिन यहां की फिजां में गुलाब की पंखुड़ियों की खुशबू तो तैरेगी तो हर चेहरे पर अबीर-गुलाल लगा हुआ दिखाई पड़ेगा. शिवरात्रि के दिन हर वर्ष की तरह इस बार भी शिव बारात में यह सब कुछ देखने को मिलेगा. यहां 1983 से हर वर्ष शिव बारात निकाली जाती है. शिव बारात समिति के बैनरतले निकलने वाली इस बारात में पूरी काशी बाराती नजर आएगी. बारात समिति के संयोजक दिलीप सिंह बताते हैं किइस वर्ष बारात की छटा अलग और अदभुत होगी.
छह प्रांतों की होगी होली, लट्ठमार भी
बारात के उत्सव में देश के छह प्रान्तों उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड, असम, हरियाणा की होली ( HOLI ) होगी. इसके साथ ही वृंदावन बरसाना क़ी लट्ठमार होली के रूप प्रदर्शित होंगे. यह बारात शिवरात्रि के दिन 8 मार्च को शाम सात बजे दारानगर स्थित मृत्युंजय महादेव मंदिर से निकली जाएगी जो मैदागिन, नीचीबाग, चौक व बाबा के मुख्य द्वार से होती गोदौलिया व डेढ़सी पुल तक जाएगी. वहां बाबा भोलेनाथ व माता गौरा का प्रतीक विवाह सम्पन्न होगा. शिव बारात काआयोजन शिव बारात समिति की ओर से 1983 से किया जा रहा है. इसके संस्थापकों में स्वर्गीय केके आनंद एडवोकेट, दिलीप सिंह, स्वर्गीय पंडित धर्मशील चतुर्वेदी, स्वर्गीय कैलाश केशरी, पत्रकार स्व. सुशील त्रिपाठी ,स्व. मोहम्मद इकराम खां उर्फ माई डियर थे.
परमपिता के विवाह की वर्षगांठ मनाते हैं बाबा के काशीवासी पुत्र
महाशिव को भोले बाबा का विवाह माँ गौरा से हुआ था. काशी वासियों का सम्बंध बाबा से भगवान और भक्त क़ा नही है बल्कि पिता पुत्र का है. काशी वासी उसी रिश्ते क़ो यादगार और अविस्मरणीय बनाने क़े लिए शिव बारात निक़ाल कर अपने परम पिता के शादी के वर्षगाँठ के रूप में प्रतिवर्ष उत्सव मनाते हैं. शिवभक्तों की आस्था के सबसे बड़े उत्सव महाशिवरात्रि पर काशीपुराधिपति अनवरत 45 घंटे तक के लिए जागेंगे. 8 फरवरी की सुबह मंगला आरती के बाद देवाधिदेव महादेव की शयन आरती नौ फरवरी की रात होगी. इस दौरान मंदिर के चारों द्वार से भक्तों के लिए झांकी दर्शन की व्यवस्था होगी.
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स्पर्श दर्शन की अनुमति नहीं
महाशिवरात्रि पर किसी भी भक्त को स्पर्श दर्शन की अनुमति नहीं होगी. इसके साथ ही भक्त गर्भगृह में भी प्रवेश नहीं करेंगे. गर्भगृह के बाहर से भक्त सिर्फ बाबा विश्वनाथ का झांकी दर्शन करेंगे. वीआईपी, सुगम दर्शन और दिव्यांगों के लिए मंदिर प्रशासन ने अलग द्वार से मंदिर जाने की व्यवस्था की है