Azamgarh : भैंस चोरी के मामले में नप गये थानेदार

कार्य में लापरवाही और उदासीनता का लगा आरोप

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सपा के शासनकाल के दौरान एक वह भी समय था जब आजम खां की भैस खोजने के लिए पुलिस महकमा लग गया था, यह खबर खूब वायरल हुई और आज भी लोग उसकी चर्चा करते हैं. लेकिन आजमगढ़ से एक ऐसी खबर आई है कि भैंस चोरी के मामले में वहां के एसपी अनुराग आर्य ने थानाध्यक्ष कंधरापुर ब्रह्मदीन पांडेय को लाइन हाजिर कर दिया है.

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थानाध्यक्ष पर यह कार्रवाई भैंस चोरी के एक मामले में लापरवाही बरतने व कार्यों के प्रति उदासीनता दिखाने पर की गई है. एसपी की इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है. दरअसल मामला यह है कि एक जनवरी 2024 को यूपी 112 पर एक व्यक्ति ने भैंस चोरी की सूचना दी. इसके बाद पीआरवी मौके पर पहुंची और थानाध्यक्ष ब्रह्मदीन पांडेय को घटना से अवगत कराया. इसके बाद भी थानाध्यक्ष द्वारा भैंस चोरी के इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं थानास्तर पर कोई अभियोग भी पंजीकृत नहीं किया गया. इसकी जानकारी एसपी को हुई तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और कार्यो में लापरवाही बरतने व कार्यों के प्रति उदासीनता को देखते हुए थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया. उनके स्थान पर जहानागंज थाने पर तैनात वरिष्ठ उप निरीक्षक विरेंद्र कुमार सिंह को कंधरापुर थाने का प्रभारी नियुक्त कर दिया.

तब 58 साल बाद हुआ था भैंस चोर गिरफ्तार

कर्नाटक से 13 सितम्बर 2003 को भैंस चोरी का एक अनोखा मामला सामने आया था. इसमें पुलिस ने 58 साल बाद चोरी के आरोपित को गिरफ्तार करने में सफलता पा ली थी. कर्नाटक पुलिस ने बताया था कि वर्ष 1965 में भैंस चोरी का केस दर्ज किया गया था, इसके आरोपित गणपति विट्ठल वागोर को गिरफ्तार कर लिया गया है. गणपित विट्ठल वागोर ने जब भैंस को चुराया था तब उसकी उम्र 20 साल ही थी. इस मामले के दूसरे आरोपित किशन चंदर की 11 अप्रैल 2006 को ही मौत भी हो चुकी थी.

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