Ayodhya: राम मंदिर जाने से पहले जानें क्या-क्या हैं मंदिर की विशेषताएं …

मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा

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Ayodhya: 22 जनवरी को अयोध्या ( ayodhya) में भव्य श्रीराम मंदिर ( ram mandir) में रामलला ( ramlala) को विराजमान कराया जाएगा. इसके लिए देश ही नहीं विदेशों में भी इसको लेकर तैयारियां जोरों पर है. मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति का चयन भी किया जा चुका है. राम मंदिर पूरी तरह से 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा. गुरुवार को प्रभु श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट कर मंदिर की विशेषताएं बताई हैं.

प्रभु श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा कुल 20 पॉइंट में बताया गया है कि श्रीराम मंदिर की क्या -क्या, खासियत है. गौरतलब है कि 22 जनवरी को पीएम मोदी ( pm modi) के हाथों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी.

आइए जानते हैं कि राम मंदिर की क्या् विशेषताएं हैं…

1. मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है.

2. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी.

3. मंदिर तीन मंजिला रहेगा. प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे.

4. मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा.

5. मंदिर में 5 मंडप होंगे. नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप.

6. खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं.

7. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा.

8. दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी.

9. मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी.

10. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा , दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.

11. मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा.

12. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे.

13. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.

14. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.

15. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है.

16. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.

17. मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.

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18. 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है. यहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी.

19. मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी.

20. मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा .

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