घर के अंदर रहकर प्रदूषण से बचना हो सकता है नुकसानदेह, AIIMS के डॉक्टरों ने दी चेतावनी

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यदि आप प्रदूषण से बचने के लिए अपने कमरे या घर की चारदीवारी में ही सीमित रह रहे हैं, तो एक बार फिर से सोचिए लें. क्योकि, एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की आदत से विटामिन डी की कमी हो सकती है, जो आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. एम्स के हार्मोन रोग विभाग के प्रोफेसर, डॉक्टर आर गोस्वामी ने बुधवार को एक सवाल के जवाब में इस बात का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी कि, प्रदूषण से प्रभावित इलाकों के लोगों में विटामिन डी की कमी अधिक पाई जाती है. खासकर दिल्ली के मोरी गेट इलाके में जहां प्रदूषण ज्यादा था, वहां के लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे थे, जबकि प्रदूषण कम वाले गुरुग्राम जैसे क्षेत्रों में ऐसा नहीं देखा गया है.

विटामिन डी की पूर्ति के लिए धूप का महत्व:

डॉक्टर गोस्वामी ने बताया कि, विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सबसे प्रभावी तरीका सूरज की रोशनी का सेवन करना है. सुबह दस से दोपहर ढाई बजे तक की धूप में अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें अधिक तीव्र होती हैं, जो शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा का निर्माण करती हैं. उन्होंने कहा कि, विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए दवाओं का अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है. स्वस्थ व्यक्तियों को विटामिन डी के सक्रिय सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं होती, वे प्राकृतिक रूप से धूप से इसकी पूर्ति कर सकते हैं.

दफ्तर में काम करने वालों में अधिक समस्या

डॉक्टर गोस्वामी ने दिल्ली में हुए एक अध्ययन का जिक्र करते हुए कहा कि, खुले स्थानों पर काम करने वाले लोगों, जैसे ट्रैफिक पुलिसकर्मी और सड़क पर काम करने वाले अन्य लोग में विटामिन डी की कमी नहीं पाई गई. वहीं, दफ्तरों में काम करने वाले लोग जैसे बैंककर्मी, जिनका अधिकांश समय कमरों में बितता है, उनमें विटामिन डी की कमी ज्यादा देखी गई. विटामिन डी की कमी से हड्डियों की समस्याएं और दिल की बीमारियां हो सकती हैं. गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी से बच्चे का वजन कम हो सकता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए इसका ध्यान रखना जरूरी है.

पानी में फ्लोराइड की जाँच भी है महत्वपूर्ण

डॉक्टर गोस्वामी ने यह भी बताया कि, कुछ क्षेत्रों में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है, ऐसे पानी में विटामिन डी का सेवन लाभकारी नहीं होता, क्योंकि दवा में मौजूद कैल्शियम फ्लोराइड के साथ मिलकर कैल्शियम फ्लोराइड बना लेता है, जिससे शरीर को उसका फायदा नहीं मिल पाता है. इसलिए, पानी में फ्लोराइड की मात्रा की जांच कराना महत्वपूर्ण है.

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विटामिन डी की अधिक दवाइयां भी हो सकती हैं हानिकारक

उन्होंने यह भी कहा कि, वर्तमान में बाजार में नैनो विटामिन डी जैसी दवाएं उपलब्ध हैं, जो सामान्य विटामिन डी की दवाओं से तीन गुना महंगी होती हैं. इन दवाओं का अचानक उपयोग शरीर में विटामिन डी की मात्रा को बढ़ा सकता है, जिससे कैल्शियम का स्तर भी बढ़ जाता है. इसका अधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है और कार्डियक डेथ का खतरा भी पैदा हो सकता है. इसलिए, बिना डॉक्टर की सलाह के विटामिन डी के सप्लीमेंट का सेवन नहीं करना चाहिए.इस प्रकार, प्रदूषण से बचने के लिए कमरे में रहना आपकी सेहत के लिए सही नहीं हो सकता है. धूप से विटामिन डी की पूर्ति करने के साथ-साथ इसके अतिरिक्त किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें.

 

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