अच्छा तो, जल्लाद ने नहीं बल्कि इसने दी थी अफजल को फांसी

0

संसद हमले के दोषी प्रोफेसर अफ़ज़ल गुरु को 2013 में फांसी किसी जल्लाद नहीं जेल के ही एक सिपाही ने दी थी। न्यूज़18 हिंदी की पड़ताल में यह खुलासा हुआ है। हालांकि तिहाड़ जेल के पूर्व अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं। दरअसल इस मामले की गंभीरता देखते हुए तब कई चीज़ें गोपनीय रखने की कोशिश की गई थी। इस वजह से यह साफ़ नहीं हो सका था कि फांसी दरअसल किसने दी। हालांकि तब कहा गया था कि फांसी जल्लाद ने दी थी। मगर तिहाड़ जेल के पूर्व डीजी के एक किताब में छपे बयान ने इसे पेचीदा बना दिया।

फांसी देने के लिए उन्हें कोई जल्लाद नहीं मिला था

न्यूज़18 हिंदी को पड़ताल में पता चला कि तिहाड़ जेल के दो पूर्व अधिकारियों के बयानों में ही अंतर है। उधर, यूपी के एक जल्लाद की कहानी कुछ और ही है। तिहाड़ के तत्कालीन डीजी बीके गुप्ता के हवाले से एक किताब में छपा था कि अफ़ज़ल को फांसी देने के लिए उन्हें कोई जल्लाद नहीं मिला था। अफ़ज़ल गुरु की फांसी के समय तिहाड़ जेल में लॉ अधिकारी रहे सुनील गुप्ता डीजी के हवाले से छपी बात को सही नहीं मानते। वह कहते हैं, ‘‘ये बात सही नहीं है कि अफ़ज़ल गुरु को फांसी किसी जल्लाद ने नहीं बल्कि जेल के ही एक सिपाही ने दी थी। हमने ग़ाज़ियाबाद से एक जल्लाद बुलवाया था।

also read : शिवराज सरकार हुई हाईटेक, मंत्री करेंगे डिजिटल साइन

उसी जल्लाद ने अफ़ज़ल गुरु को फांसी दी थी। अगर पूर्व डीजी बीके गुप्ता (तिहाड़ जेल) कहीं यह बयान दे रहे हैं तो ग़लत है कि अफ़ज़ल गुरु को जल्लाद ने फांसी नहीं दी थी।’’फांसी देने के संबंध में जेल के दिशा’निर्देश। मेरठ के जल्लाद पवन का कहना है कि ‘‘जब कोर्ट से अफ़ज़ल गुरु को फांसी देने की घोषणा हुई तो मैं तिहाड़ जेल जाकर खुद लॉ अधिकारी सुनील गुप्ता से मिला था। मैंने फांसी दिए जाने के इंतज़ामों को लेकर बात भी की थी और जल्लाद के बतौर मुझे बुलाने के लिए भी कहा था। तब सुनील गुप्ता ने कहा था कि जब कुछ ऐसा होगा तो हम आपको बता देंगे।

फांसी देने का काम सिर्फ़ जल्लाद का है

’’पवन यह भी बताते हैं कि ‘ग़ाज़ियाबाद और नोएडा में कोई फांसी देने का काम नहीं करता। यूपी में सरकारी मान्यता प्राप्त सिर्फ़ दो परिवार ही यह काम करते हैं। एक मैं ख़ुद हूँ और दूसरे लखनऊ के अहमद हैं। लेकिन अहमद अब उम्रदराज़ हो गए हैं तो उन्होंने यह काम बंद कर दिया है।’’क्या किसी दोषी को फांसी देने का काम सिर्फ़ जल्लाद का है? इस सवाल को लेकर हमने मध्य प्रदेश जेल के पूर्व आईजी जीके अग्रवाल से बात की। उनका कहना था कि ‘ऐसा कोई ज़रूरी नहीं है कि सिर्फ़ जल्लाद ही फांसी देने का काम करेगा। अगर आपको किसी दोषी को फांसी देने के लिए जल्लाद नहीं मिलता, तो आप किसी से भी फांसी दिलाने का काम कर सकते हैं। फिर वो चाहे वह जेल कर्मचारी हो या फिर बाहर का कोई व्यक्ति।’’

क्या कहते हैं जेल के दिशा-निर्देश

फांसी देने के संबंध में MODEL PRISON MANUAL FOR THE SUPERINTENDENCE AND MANAGEMENT OF PRISONS IN INDIA का पेज नम्बर 159 कहता है कि जब किसी दोषी को फांसी दी जाएगी तो वहां फांसी को देने वाला भी मौजूद रहेगा। इतना ही नहीं फांसी देने वाले को फीस के रूप में मेहनताना भी दिया जाएगा। वहीं हर एक जेल में फांसी देने वाले की तैनाती करने की बात भी की गई है।

news18

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More