#अयोध्या में कई मुस्लिमों ने छोड़ा अपना घर!
अयोध्या में बीते कुछ दिनों से बढ़ी हलचल को देखते हुए सरकार और प्रशासन ने पूरी अयोध्या को पूरी छावनी में तब्दील कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद अल्पसंख्यकों में खौफ का माहौल है।
विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना की ओर से आयोजित दो कार्यक्रम को देखते हुए अयोध्या में मुसलमानों को दी गई सुरक्षा उनका डर कम करने में नाकाफी साबित हुई और कई मुसलमान अपना घर छोड़कर चले गए।
विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित सैय्यदवाड़ा इलाके में रविवार दोपहर ज्यादातर मुसलमानों के घरों में ताले लगे हुए थे। पूरा इलाका वीरान नजर आया। शहरों में भेज दिया गया था। अयोध्या में जो थोड़े-बहुत मुसलमान बचे थे, वे एकसाथ रह रहे थे। बता दें कि शनिवार और रविवार को दो दिन तक चलने वाले कार्यक्रम के लिए वीएचपी और शिवसेना के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे थे। इसको देखते हुए कई मुसलमान अपना घर छोड़कर चले गए।
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एक मस्जिद के बाहर अपने दोस्तों के साथ बैठे शोएब खान ने कहा, ‘सुरक्षा के लिए ज्यादातर परिवारों ने अपने घरों की महिलाओं और बच्चों को रिश्तेदारों के घर भेज दिया है। लोगों ने दिसंबर 1992 को देखा है और दोबारा उस तरह के खौफनाक माहौल की तरह से रहना नहीं चाहते हैं।’ उन्होंने बताया कि 1992 की हिंसा में उनका परिवार भी प्रभावित हुआ था।
रिश्तेदारों को सुल्तानपुर, लखनऊ और अन्य शहरों में भेजा
इलाके के जो मुसलमान अपने घरों में रुके हुए थे, वे रविवार सुबह से ही टीवी से चिपके रहे और धर्मसभा के बारे में पल-पल की जानकारी लेते रहे। स्थानीय निवासी मंजूर अहमद कहते हैं, ‘हमने अपनी बहू, बेटियों और बच्चों को उनके-उनके घर भेज दिया है कि कहीं माहौल खराब न हो जाए।’ मंजूर ने कहा कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को सुल्तानपुर, लखनऊ और अन्य शहरों में भेजा है।
धर्मसभा को देखते हुए मुस्लिम टेलरों की दुकानें बंद रहीं। गौरतलब है कि राम मंदिर निर्माण के लिये माहौल बनाने में जुटी वीएचपी ने अयोध्या में ‘धर्म सभा’ के जरिये अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए मंदिर बनाने के संकल्प को पूरे देश में फैलाने का संकल्प जाहिर किया। धर्म सभा में शिरकत करने वाले तमाम संतों एवं धर्माचार्यों ने जोर देकर कहा कि मंदिर निर्माण के लिए अब और इंतजार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मंदिर की भव्यता से भी किसी भी तरह के समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। साथ ही संतों ने यह इशारा भी दिया कि आने वाले एक-दो महीने यह तय करेंगे कि मंदिर निर्माण की कवायद क्या रुख अख्तियार करेगी। धर्म सभा में शिरकत करने वाले साधु-संतों और धर्माचार्यों ने कहा कि उन्होंने यहां की मिट्टी पर संकल्प लिया है कि वह राम मंदिर निर्माण के संदेश को पूरे देश में फैलाएंगे। हालांकि धर्म सभा में कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ।
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