इलाज के अभाव में महिला एथलीट ने तोड़ दिया दम, सरकार से लगाई थी मदद की गुहार
काशी ने एक और महिला खिलाड़ी को खो दिया। लाख कोशिशों के बावजूद मास्टर एथलीट और सहायक अध्यापिका डॉ. संगीता मिश्रा लंबी के बाद बीमारी से जंग हार गई। 6 जनवरी को दोपहर ढाई बजे संगीता मिश्रा ने रामकृष्ण मिशन अस्पताल लक्सा में अंतिम सांस ली। उन्हें मुखाग्नि उनका एक मात्र लड़का तेजस्वी आनंद ने दिया। संगीता अंतिम समय तक नौकरी करती रही, मगर दुखद यह कि पैसे के आभव में इलाज के बगैर एक खिलाडी का इस कदर जाना न केवल काशी के लिए शर्मनाक है बल्कि यह खिलाडियों के मनोबल को तोड़ने जैसा है।
साल 2016 से चल रही थीं बीमार
मास्टर्स एथेलीट संगीता वर्ष 2016 से गंभीर बीमार चल रही थी। अक्टूबर माह में उनकी तबियत ज्यादा खराब होने से उन्हें महमूरगंज स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। चिकित्सकों ने उनके किडनी खराब होना बताया था। उस वक्त तक संगीता 10 डायलासिस करा चुकी थी। संगीता के पति न होने की वजह से अर्थ का एक मात्र साधन उनका प्राथमिक विद्यालय उदयपुर में पढ़ाना था। वह उदयपुर प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक की पद पर कार्यरत थी। अंतिम क्षण तक उनके परिजनों और शुभचिंतकों ने पैसे इक्कठा कर इलाज करवाया।
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आर्थिक तंगी की वजह से नहीं हो सकी किडनी ट्रांसप्लांट
दिवंगत संगीता की बड़ी बहन अग्रसेन पीजी कॉलेज की प्रोफेसर प्रो. संध्या ओझा बताती है कि चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। मगर आर्थिक रुप से कमजोर होने की वजह से हम ऐसा नहीं कर सके। शुरुआती दौर में ही हमने पीएम नरेंद्र मोदी और तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव को पत्र भेजा मगर कही से कोई मदद नहीं मिली। बाद के दिनों में हमने भाजपा सरकार से भी काफी गुहार लगाई लेकिन कही से कोई सहायता नहीं पहुंची।
संगीता किसी तरह अंत के दिनों तक अपनी ड्यूटी करती रही ताकि तनख्वाह से डायलसिस करा सके। संगीता की हालत लगातार नाजुक बनती जा रही थी और विभाग ने उसकी ड्यूटी बीएलओ में लगा दी। 1 जनवरी को चलकर खुद संगीता अपनी तबियत का हवाला देकर नाम हटवाने के लिए अधिकारियों के पास गई थी।
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