‘बरगद’ के चित्रों में झलका प्राकृतिक सौंदर्य
पर्यावरण संक्षरण के लिए दुनियाभर में शनिवार को पृथ्वी दिवस मनाया जाएगा। ऐसे में एक चित्रकार ने अपनी कला के केंद्र में बरगद वृक्ष को रखकर सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान इसके सौंदर्य को उकेरा है। नई दिल्ली में शुरू हुई कला प्रदर्शनी में संरक्षण, कलातीत एवं सभ्यागत पुरातनता का प्रतीक माने जाने वाले बरगद के वृक्ष को लेकर बनाई गई चित्रकार अपर्णा बिडसारिया की विचारोत्तेजक पेंटिंग्स की एक श्रंखला से रूबरू हुआ जा सकता है। इंदौर की कलाकार अपर्णा बिडसारिया की पेंटिंग्स को नई दिल्ली में त्रिवेणी कला संगम की श्रीधरानी आर्ट गैलरी में चल रही प्रदर्शनी – ‘टाइम एंड बीइंग’ नामक प्रदर्शनी के तहत प्रदर्शित की जा रही है।
17 से 26 अप्रैल तक चलने वाली यह प्रदर्शनी पहली बार फरवरी में भोपाल में भारत भवन में आयोजित की गई थी, जिसे कम संख्या में प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं। इसे 14 अगस्त से मुंबई में जहांगीर आर्ट गैलरी में थोड़े बदलाव के साथ प्रदर्शित किए जाने की योजना है।
विख्यात विद्वान और आलोचक उमा नायर द्वारा क्यूरेट की गई, दस दिवसीय प्रदर्शनी में मोनोक्रोम, रंगों और प्रभावी विविध रंगों में कुल 30 पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया जा रहा है। ये पेंटिंग्स कलात्मक उत्कृष्टता, ध्यान केंद्रित गुणवत्ता तथा सृजनात्मक सद्भाव से भरी हुई हैं।
ये दृश्य भव्यता एवं प्रयोगात्मक सुख प्रदान करती हैं। इन पेंटिंग्स में दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने की क्षमता है और इसके कारण कला प्रेमी इनकी तरफ आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकते।
अपर्णा के लिए बरगद का वृक्ष परम नशा की तरह है। वह कहती हैं “बरगद के पेड़ ने मुझे बचपन से मोहित किया है। इसने मुझे जीवन का दृष्टिकोण दिया और इसकी कलात्मक अभिव्यक्ति के प्रति मुझे प्रबल लगाव रहा है। मैंने अब नरम पट्टिकाओं के जरिए अभिव्यक्त करने की कोशिश की है।”
अपर्णा असंख्य बिम्बों में बरगद वृक्ष को अभिव्यक्त करने के लिए मिट्टी, लकड़ी का कोयला, पस्टेल, स्याही और ऐक्रेलिक का इस्तेमाल करती हैं।
अपर्णा की कृतियों को आइफैक्स, दिल्ली, भारतीय कला महोत्सव, मुंबई, भारत भवन, भोपाल तथा प्रीतम लाल दुआ गैलरी, इंदौर में प्रदर्शित किया जा चुका है।
अपर्णा कहती हैं, “बरगद के वृक्ष हमें कई कहानियां सुनाते हैं। इसकी पत्तियां धीमे स्वर में कहानियां कहती हैं, इसकी शाखाएं इन कहानियों की व्याख्या करने के लिए नर्तक की भांति अटखेलियां करती हैं और इसकी जड़ें वायु के संगीत को फैलाती हैं।”
इस आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल गैलरी ऑफ द मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) के महानिदेशक आद्वैत गडनायक ने कहा कि अपर्णा की पेंटिंग्स प्रकृति की शक्ति का एक सौंदर्यवादी ढंग से उत्सव है।
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वह कहते हैं, “प्रकृति शक्ति पुंज है। हमें अधिक से अधिक सीखने के लिए अतीत में जाने की जरूरत है। यह जानना दिलचस्प है कि ब्रु्रस ली ने पानी से मार्शल आर्ट्स सीखा। वृक्ष दूत की तरह हैं जो हमारी प्रार्थनाओं को सर्वोच्च शक्ति तक पहुंचाते हैं।”
क्यूरेटर उमा नायर ने कहा कि अपर्णा की पेंटिंग बरगद के पेड़ पर आध्यात्म की तरह है। क्यूरेटर ने कहा, “उनकी कृतियां आपसे पेड़ों की अनन्त ताकत के बारे में बात करती हैं, जो समय के प्रहरी के समान खड़े होते हैं। पेड़ हमें न केवल कायम रखता है, बल्कि हमें सभी प्रकार की कलाओं के लिए खुराक भी देता है, चाहे ये संगीत, पेंटिंग, मूर्तिकला या साहित्य हो।”