पहले ही दिन गड़बड़ाई जलमार्ग से शवयात्रियों को ले जाने की व्यवस्था

पर्याप्त साबित नही हुए एनडीआरएफ के तीन मोटरबोट

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वाराणसी में यातायात जाम की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने एक दिन पहले ही शवयात्रियों का मार्ग बदला और उनकी सुविधा के लिए व्यवस्था भी की. लेकिन गुरूवार को पहले दिन प्रशासनिक इंतजाम नकाफी साबित हुए. एनडीआरएफ के तीन मोटरवोट तो शवों के साथ शव यात्रियों को मणिकर्णिका घाट ले जा रहे थे, इसके बावजूद निजी नावों को सहारा लेना पड़ा. लोग निजी नाव पर दो और तीन शवों को लेकर घाट की ओर आते दिखे.

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गौरतलब है कि काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शवदाह के लिए वाराणसी, आसपास के जिलों के अलावा बिहार से भी लोग आते हैं. वाहनों से आनेवाले शवयात्रियों के वाहन मैदागिन में खड़े कराये जाते थे. इसके बाद वहां से पैदल ही शवयात्री बुलानाला, नीचीबाग, कचौड़ी गली होते हुए मणिकर्णिका घाट पहुंचते रहे. इससे मैदागिन से चौक मार्ग पर जाम की स्थिति रहती थी. गलियां भी अक्सर जाम हो जाती रहीं.

जाम की समस्या से निजात के लिए प्रशासन ने की है नई व्यवस्था

जाम की इस समस्या से निजात के लिए जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने मैदागिन से लगायत भैंसासुर घाट का निरीक्षण किया था. नई व्यवस्था के तहत मैदागिन आनेवाले शवयात्रियों के वाहनों को भैसासुर घाट की ओर डायवर्ट करने का आदेश हुआ. भैसासुर घाट पर एनडीआरएफ के तीन मोटरबोट लगाये गये. मगर दूसरे दिन तीन मोटरबोट पर्याप्त सबित नही हुए. शव और शवयात्रियों की संख्या ज्यादा रही. मोटरबोट से एक शव पहुंचाने और फिर लौटने के दौरान और भी शव पहुंच जाते रहे.

बिना लाइफ जैकेट के नाव पर सवार थे लोग

इससे शवयात्रियों को काफी इंतजार करना पड़ रहा था. ऐसे में शवयात्रियों ने निजी नावों को सहारा लिया. इसके लिए नाव चालकों ने अधिक किराये की वसूली भी की. किराया अधिक देख शवयात्रियों ने एक ही नाव पर दो से तीन शव रखवाए और मणिकर्णिका घाट पहुंचे. शवयात्रियों ने बताया कि सड़क मार्ग से शव लेकर भैंसासुर घाट तक तो पहुंच जा रहे हैं, लेकिन अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. अंतिम संस्कार के लिए लोगों को चार से पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है. शवदाह के लिए लोग परिचितों और सगे-सम्बंधियों के साथ दूर-दराज से आते हैं. लेकिन नई व्यवस्था में खामियां भी नजर आईं. मोटरबोट से शव के साथ शवयात्रिं को एनडीआरएफ के जवानों की मौजूदगी में लाना तो सुरक्षित माना जा सकता है, लेकिन निजी नावों पर जिस तरह से बिना किसी सुरक्षा यानी लाइफ जैकेट के शवयात्री सवार दिखे उससे कभी भी खतरा हो सकता है.

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