रामनगर की रामलीला में तिलक लगाने का है विशेष महत्व, उत्तम स्वास्थ्य, एकाग्रता और शांति का है प्रतीक
"स्नाने दाने जपे होमो, देवता पितृकर्म च। तत्सर्वं निष्फलं यांति ललाटे तिलकं विना।।"
लोगों द्वारा अपने ललाट के बीच में तिलक लगाने और लगवाने का विशेष महत्व है. सनातन धर्म का निशान तिलक संस्कृत शब्द ‘तिल’ से आता है जिसका अर्थ तिल का बीज है. तिलक लगाना हिंदू परम्परा का एक विशेष कार्य है. बिना तिलक लगाए ना तो पूजा की अनुमति होती है और ना ही पूजा संपन्न मानी जाती है. तिलक दोनों भौहों के बीच में, कंठ पर या नाभि पर लगाया जाता है. तिलक के द्वारा यह भी जाना जा सकता है कि आप किस सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इससे स्वास्थ्य उत्तम होता है. मन को एकाग्र और शांत होने में मदद मिलती है. साथ ही ग्रहों की ऊर्जा संतुलित हो पाती है और भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है. तिलक किसी व्यक्ति के माथे पर लगाए या छापे जाते हैं, क्योंकि यह वह स्थान है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति दिव्यता को प्रसारित कर सकता है. यह व्यक्ति के आध्यात्मिक चरित्र को बढ़ाता है. एक श्लोक के माध्यम से हम इसे समझ सकते हैं कि “स्नाने दाने जपे होमो, देवता पितृकर्म च। तत्सर्वं निष्फलं यांति ललाटे तिलकं विना।।” जिसका अर्थ है कि तिलक के बिना स्नान, जप, दान, यज्ञ, पितरों का श्राद्ध और देवताओं की पूजा इत्यादि सभी निष्फल हो जाते हैं. हालांकि समय के साथ यह बदल गया है और अब बहुत कम लोग इस अभ्यास का पालन करते हैं.
लीला के दौरान तिलक लगवाने को मानते हैं भगवान का प्रसाद
हम बात कर रहे हैं रामनगर में रामलीला के दौरान माथे पर लगाए जाने वाले तिलक की. बता दें कि तिलक लगाने की परंपरा बहुत ही पुरानी है और लीला के दौरान लोग इसे बड़े चाव के साथ लगाते या लगवाते हैं. लोग इसे भगवान श्री राम का प्रसाद और आशीर्वाद मानते हैं. सैकड़ो साल पुरानी परंपरा का निर्वाह आज भी लोग कर रहे हैं.
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10 प्रकार के लगते हैं तिलक
तिलक या चंदन लगाने वाले लोगों ने बताया कि हम लोग 10 प्रकार के अलग-अलग तिलक लगाते हैं. जिसको जो तिलक अच्छा लगता है, हम उसी प्रकार का तिलक उनको लगाते हैं. यही नहीं बल्कि ऐसा तिलक लगाते हैं कि उसे देखने के लिए भी लोग भीड़ लगा लेते हैं. यह हर साल लीला के दौरान हम लोग करते हैं.
पुराहितों ने बताया कि यह तिलक लगाने की परंपरा आज से नहीं बल्कि जब से लीला प्रारंभ हुई है तब से शुरू हुई है. तिलक लगाने वाले लोगों ने बताया कि जो लोग लीला देखने आते हैं उनको तिलक लगाते हैं.
दान नहीं मांगते, स्वेच्छा से जो मिल जाए वही स्वीकार्य
तिलक लगाने वाले लोगों ने बताया कि हम लोग जिनको भी टीका या चंदन लगाते हैं उनसे कभी भी पैसे की मांग नहीं करते हैं. स्वेच्छा से जो मिल जाए उसे स्वीकार कर लेते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हम पुरानी परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं. यह परंपरा जीवित रहे और लोग इसको जानते रहे इसीलिए हम इसका निर्वहन आज भी कर रहे हैं. लीला के साथ-साथ यहां पर अन्य चीज भी विश्व प्रसिद्ध हैं जो अन्य जगहों से अलग बनाती हैं.
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लीला प्रेमियों ने बताया कि पहले हम लोग छोटे-छोटे थे तो पिताजी के साथ आते थे. वह तिलक लगवाते थे और लोगों को प्यार से कुछ उपहार स्वरूप दे देते थे. उन्होंने यह भी बताया कि हम लोग 30 दिन लीला देखने आते हैं और 30 दिन तिलक भी लगवाते हैं.
तिलक को आकर्षक बनाने के लिए लगाते हैं चमकीली किरकिरी
तिलक लगाने वाले लोगों ने बताया कि तिलक या चंदन जब लगाते हैं तो उसे और भी आकर्षक बनाने के लिए चमकीली किरकिरी भी कई प्रकार के अपने पास रखे रहते हैं. तिलक लगाने के बाद उस पर विभिन्न प्रकार के किरकिरी डाल देते हैं. जिससे यह काफी आकर्षक लगने लगता है.
उन्होंने यह भी बताया कि जैसे-जैसे शाम ढलती जाती है और लोगों के तिलक पर प्रकाश पड़ता है तो यह लोगों को आकर्षक लगने लगता है. उन्होंने बताया कि यहां पर अब भी तिलक लगवाने के लिए भीड़ इकट्ठा होती है. इसके साथ ही लोगों ने बताया कि सिर्फ तिलक ही नहीं यहां पर और भी कई चीज ऐसी है जो अन्य जगहों की रामलीला से बिल्कुल अलग हटकर होती है.
स्वामीनारायण, इस्कॉन सहित अन्य कुछ अन्य संप्रदाय के अनुयायी रोज लगाते हैं तिलक
स्वामीनारायण, इस्कॉन, वारकरी और कुछ अन्य संप्रदाय के अनुयायी सुबह की प्रार्थना के दौरान तिलक को सख्ती से लागू करते हैं. हिंदू सनातन धर्म के भीतर विभिन्न संप्रदायों में तिलक का अलग प्रतिनिधित्व है: तिलक (संस्कृत तिलका, “निशान”) एक हिंदू के माथे पर एक निशान है.
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हिंदू होने की पहचान का यह ऐ प्रतीक भी है. हालांकि इस अभ्यास की उत्पत्ति अस्पष्ट है. लेकिन, प्राचीन काल में, जब वर्ण प्रणाली प्रमुख थी, लोग अलग-अलग तिलकों को लागू करते थे जो उनके वर्ण का प्रतिनिधित्व करते थे. सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं. चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है.