जानें अपाचे क्यों है दुनिया का सबसे घातक हेलिकॉप्टर
कई दिनों से प्रस्तावित चल रहे अपाचे हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं। ग़ौरतलब है कि, भारत-पाक के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए पठानकोट एयरबेस पर आठ लड़ाकू अपाचे हेलिकॉप्टरों की तैनाती कर दी गई है। इस मौके पर एयर चीफ मार्शल बीएस धनोवा खुद भी मौजूद रहे थे। उन्होंने जानकारी दी कि, अपाचे के भारतीय वायु सेना में शामिल होने से सैन्य शक्ति को और मजबूती मिलेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि, अपाचे हेलिकॉप्टर दुनिया का सबसे घातक लड़ाकू हेलिकॉप्टर है। यही वजह है कि, अमेरिका समेत कई देश इसका इस्तेमाल करते हैं। अपनी इस कड़ी में आज हम आपको अपाचे हेलिकॉप्टर की वो विशेषतायें बताएँगे जो अपाचे को इतना ख़तरनाक बनाती हैं।
कुछ प्रमुख विशेषतायें:
- इस हेलिकॉप्टर की फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर है।
- ये हेलिकॉप्टर 16 एंटी टैंक मिसाइल दाग उसके परखच्चे उड़ा सकता है।
- दुश्मन पर बाज की तरह हमला कर निकल जाने के लिए इसे तेज रफ्तार बनाया गया है।
- 16 फ़ुट ऊंचे और 18 फ़ुट चौड़े अपाचे हेलिकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी है।
- हेलिकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों में 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं।
- इस हेलिकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं।
- इस वजह से इसकी रफ्तार बहुत ज्यादा है।
- इसका डिजाइन ऐसा है कि, ये आसानी से रडार को चकमा दे सकता है।
- अपाचे हेलिकॉप्टर एक बार में 2:45 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
- अपाचे हेलिकॉप्टर की डिजिटल कनेक्टिविटी और संयुक्त सामरिक सूचना वितरण प्रणाली अत्याधुनिक है।
- IAF के बेडे में शामिल अपाचे अपग्रेटेड वर्जन के हैं।
- इसकी तकनीक और इंजन को उन्नत किया गया है।
- यह मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को नियंत्रित करने की क्षमता से लैस है।
- बेहतर लैंडिंग गियर, क्रूज गति, चढ़ाई दर और पेलोड क्षमता में वृद्धि इसकी कुछ अन्य विशेषताएं हैं।
- युद्ध के मैदान की तस्वीर को कमांड सेंटर पर प्रसारित करने और वहां से प्राप्त करने की भी क्षमता है।
- अपाचे को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने भारतीय सेना की जरूरत के हिसाब से विशेष तौर पर तैयार किया है।
अचूक निशाना:
हवा में उड़ान भरते वक्त और दुश्मन को चकमा देते वक्त भी अपाचे हेलिकॉप्टर बहुत सटीक निशाना लगा सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध क्षेत्र में होता है। अचूक निशाने की वजह से हेलिकॉप्टर के एम्युनेशन्स (गोला-बारूद) बर्बाद नहीं होते हैं और दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है। यह दुश्मन की किलेबंदी को भेद कर उस पर सटीक हमला करने में भी सक्षम है।
क्यों पड़ती है दो पायलटों की ज़रूरत:
अपाचे हेलिकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलटों की जरूरत होती है। मुख्य पायलट पीछे बैठता है और उसकी सीट थोड़ी ऊंची होती है ताकि, वह आसानी से आगे देख सके। मुख्य पायलट ही हेलिकॉप्टर को कंट्रोल करता है। आगे बैठे सेकेंड पायलट की जिम्मेदारी दुश्मन पर सटीक निशाना लगाने की होती है। एक अनुमान के अनुसार पायलटों को इस हेलिकॉप्टर को उड़ाने में 18 महीनों का कड़ा प्रशिक्षण प्राप्त करना पड़ा था।
1975 में उड़ा था पहला अपाचे:
- भारतीय वायुसेना को 11 मई 2019 को पहला लड़ाकू हेलिकॉप्टर अपाचे गार्जियन मिला था।
- IAF ने सितंबर 2015 में 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों के लिए US सरकार और बोइंग कंपनी से सौदा किया था।
- इस हेलिकॉप्टर को अमेरिकी सेना के एडवांस अटैक हेलिकॉप्टर प्रोग्राम हेतु बनाया गया था।
- इसने पहली उड़ान साल 1975 में भरी थी।
- इसे साल 1986 में अमेरिकी सेना में शामिल किया गया था।
- यह हेलिकॉप्टर लगभग 293 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है।
- यह हेलिकॉप्टर लगभग 21000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
- इस हेलिकॉप्टर में हेलिफायर और स्ट्रिंगर मिसाइलें लगी हैं।
- यह हेलिकॉप्टर किसी भी मौसम या किसी भी स्थिति में दुश्मन पर हमला कर सकता है।
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