मॉब लिंचिंग के हत्थे चढी एक और जिंदगी, जानें लिंचिंग, इंसाफ, वजह …

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झारखंड के रामगढ़ एक और भीड़ के इंसाफ का मामला सामने आ रहा है। यहां के गांव सिकनी के निवासी शमशाद अंसारी को ठगी का आरोप लगाते हुए, 40 लोगों से अधिक की भीड़ ने इतना पीटा की उसकी मौत हो गयी । घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और शायद इसके बाद गुनहगार आरोपियों में कुछ को सजा भी हो जाए। लेकिन सवाल है कि, कब रूकेगा मॉब लिंचिंग के हत्थे चढ़ती इन मासूम जिंदगियों के मौत का सिलसिला ?

यह कोई पहला मौका नहीं है, जब मॉब लिंचिंग से एक व्यक्ति की मौत हुई है। आए दिन मॉब लिंचिंग के मामले देशभर से सामने आते ही रहते है। कभी चोरी, कभी ठगी , कभी जाति धर्म के नाम पर ऐसे बहुत सी वजहों पर आता जनता का मौत का इंसाफ कितना सही है? मॉब लिंचिंग के बढते मामलों की वजह क्या है और इसको लेकर क्या कहता है हमारा कानून आइए जानते है…..

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मॉब लिंचिंग के क्या कारण

-भारत में धर्म और जाति के नाम पर होने वाली हिंसा की जड़ें काफी मज़बूत हैं। वर्तमान में लगातार बढ़ रहीं लिंचिंग की घटनाएँ अधिकांशतः असहिष्णुता और अन्य धर्म तथा जाति के प्रति घृणा का परिणाम है।

-इन घटनाओं से मॉब लिंचिंग में धर्म और जाति का दृष्टिकोण स्पष्ट तौर पर ज़ाहिर होता है।

-देश में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच अविश्वास की एक गहरी खाई है जो कि हमेशा एक-दूसरे को संशय की दृष्टि से देखने के लिये उकसाती है और मौका मिलने पर वे एक-दूसरे से बदला लेने के लिये भीड़ का इस्तेमाल करते हैं।

-आधुनिकता के चलते अंदर व्यक्तिवाद की भावना का विकास हुआ है और हमारे सामाजिक जुड़ाव में कमी आई है।

-अक्सर यह कहा जाता है कि ‘भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता’ और शायद इसी कारण से भीड़ में मौजूद लोग सही और गलत के बीच फर्क नहीं करते हैं।

-लिंचिंग में संलिप्त लोगों की गिरफ्तारी न होना देश में एक बड़ी समस्या है। यह न केवल पुलिस व्यवस्था की नाकामी को उजागर करता है, बल्कि अपराधियों को प्रोत्साहन देने का कार्य भी करता है।

-भारत में निजी हमले तथा अपमानजनक और नफरत फैलाने वाले भाषण काफी सामान्य हो गए हैं और ये भाषण भी मॉब लिंचिंग में बड़ी भूमिका अदा करते हैं।

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मॉब लिंचिंग को लेकर क्या कहता है कानून

-इसके साथ ही बात करें मॉब लिंचिंग को लेकर हमारा कानून क्या कहता है, मॉब लिंचिंग के मामले में पुलिस सबसे पहले भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 153 A के तहत मामला दर्ज करती है। इसमें 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा आईपीसी की धारा 34, 147, 148 और 149 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

– इसके अलावा यदि भीड़ द्वारा किसी की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है, तो आईपीसी कि धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा और साथ में धारा 34 या 149 लगाई जाएगी। इसके बाद जितने लोग भी मॉब लिंचिंग में शामिल रहे होंगे उन सबको हत्या का दोषी ठहराया जाएगा और फांसी या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा। इसके अलावा सभी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

-अगर भीड़ का कोई भी शख्स किसी भी अपराध को अंजाम देता है, तो उस अपराध के लिए भीड़ में शामिल सभी लोग दोषी होंगे।

 

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