धरने पर बैठे किसान नेता ने तोड़ा दम
जिलाधिकारी कार्यालय के सामने 15 दिन से धरने पर बैठे किसान नेता अमृतलाल (48) की रविवार रात मौत हो गई। रात में ही अधिकारियों ने पांच लाख का चेक मृतक की पत्नी को थमाकर जबरन शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और परिवारीजन को उनके गांव पहुंचा दिया। सोमवार सुबह किसानों ने हंगामा किया, जिसके बाद परिवारीजन को दस लाख रुपये की मदद दी गई।
भीषण गर्मी में भी अमृतलाल दिन-रात आंदोलित थे
किसान कल्याण एसोसिएशन (अराजनीतिक) के जिलाध्यक्ष अमृतलाल सविता किसानों की समस्याओं और भूमाफिया के खिलाफ सात सूत्री मांगों को लेकर पत्नी नीलम सविता व अपने मासूम बच्चे के साथ धरने पर बैठे थे। भीषण गर्मी में भी अमृतलाल दिन-रात आंदोलित थे। पत्नी नीलम के मुताबिक रविवार रात उनके पति रोटी व दो आम खाकर सो गए। रात करीब 10.30 बजे उनका बेटा भूख से रोने लगा तो वह जगी तो देखा कि पति अचेत पड़े हैं।
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हिलाने पर जब नहीं जागे तो नीलम ने अन्य लोगों को आवाज लगाई। एंबुलेंस से उनको जिला अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव फिर कलेक्ट्रेट परिसर में लाकर रख दिया गया। जानकारी मिलते ही डीएम संजय खत्री, एसपी सुजाता सिंह, सीएमओ डॉ. डीके सिंह पहुंच गए। आननफानन में रात में ही किसान दुर्घटना बीमा योजना का पांच लाख रुपये का चेक मृतक की पत्नी को दे दिया गया। शव को पुलिस ने जबरन गाड़ी में डाल लिया।
पांच लाख का चेक सिटी मजिस्ट्रेट को वापस कराया
पत्नी नीलम का आरोप है कि पुलिस ने जबरन उसे व अन्य लोगों को उनके गांव पहुंचा दिया। सोमवार सुबह मामले ने तूल पकड़ लिया। आधा दर्जन से अधिक किसान संगठनों ने कलेक्ट्रेट परिसर में हंगामा किया। सीडीओ राकेश कुमार व एएसपी शशिशेखर सिंह को मांगों से संबंधित ज्ञापन दिया गया। नेताओं ने नीलम से पांच लाख का चेक सिटी मजिस्ट्रेट को वापस कराया। इसके बाद सीडीओ ने पांच लाख रुपये और देने और पेंशन व आवास दिलाने की बात कही। इस पर किसान नेता शांत हुए। सीडीओ राकेश कुमार ने बताया कि मामले की जांच के लिए टीम गठित की गई है।
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