तीन सैनिकों के मारे जाने पर बौखलाया अमेरिका, बाइडेन ने कहा ’हम इसका जवाब देंगे’
अमेरिकी सैन्य अड्डे पर ईरान समर्थित गुट की ओर से ड्रोन से हमला किया गया है. जब यह हमला हुआ तब बेस पर टॉवर 22 नाम की जगह पर लगे टेंट में अमेरिकी सैनिक सो रहे थे. इज़रायल और गाजा के बीच जारी जंग के बीच यह पहली बार है जब मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैनिक हताहत हुए हैं. जार्डन में अमेरिका सेना सेन्य अड्डों पर हुए इस हमले में तीन सैनिक मारे गये हैं वहीं 25 से अधिक सैनिक गंभीर रूप से घायल हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि ’हम इसका जवाब देंगे.
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ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड द्वारा मिलता है समर्थन
इस्लामिक रेजिस्टेंस समूह ने इस घातक हमले की जिम्मेदारी ली है. इराक में इस्लामिक रेजिस्टेंस कोई एक ग्रुप नहीं है. इराक में कई संगठनों के एक गठबंधन को यह नाम दिया गया है, इनको ईरान का समर्थन प्राप्त है. इस्लामिक रेजिस्टेंस को ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स-कुद्स फोर्स (आईआरजीसी-क्यूएफ) से मदद मिलने का दावा किया जाता रहा है. आईआरजीसी ही इस गठबंधन को संगठित करने और हथियार पहुंचाने में मदद करता है. वाशिंगटन इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार इन इराकी सशस्त्र समूहों की अपनी व्यक्तिगत पहचान और यहां तक कि एक ग्रुप के भी किसी हमले की जिम्मेदारी लेने की बजाय पूरे समूह की ओर से इसपर दावा करना दिखाता है कि कोई बड़ी ताकत इस हमले के पीछे है. यह ताकत निश्चित रूप से ईरान है.
ईरान ने दिया ये जवाब
हालांकि ईरान ने अमेरिकी मिलिट्री बेस पर हुए हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया है. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि ने एक बयान में कहा कि तेहरान का हाथ इस हमले में नहीं हैं. आगे जोड़ा कि इस क्षेत्र में अमेरिकी बलों और प्रतिरोध समूहों के बीच संघर्ष है जो जवाबी हमलों का जवाब देते हैं.
बता दें कि अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी और सहयोगी देशों के सैन्य बेस पर इराक-सीरिया में कमोबेश 158 हमले हुए हैं. हालांकि यह पहला हमला है जिसके कारण अमेरिका को अपने सैनिक गंवाने पड़े हैं.
डोनाल्ड ट्रम्प ने तीसरे विश्व युद्ध होने की जताई आशंका
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने हमले की निंदा करते हुए इसके लिए राष्ट्रपति बाइडेन की अलोचना की. वहीं ईरान को हमले के लिये जिम्मेदार ठहराया. ट्रंप ने संवेदना व्यक्त करते हुए इसे “अमेरिका के लिए भयानक दिन“ बताया. उन्होंने दावा किया कि उनकी अध्यक्षता में ऐसी घटना नहीं घटी. वहीं उन्होंने कहाकि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है.
जानें क्या है ‘टॉवर 22’
जॉर्डन में यह अमेरिका का एक सैन्य अड्डा है. ‘टॉवर 22’ के नाम से जाने जाने वाले ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ बेस है. लगभग 350 अमेरिकी सैनिकी और वायु सेना के कर्मियों को इस बेस पर तैनात किया गया था. इस छोटे प्रतिष्ठान में अमेरिका के इंजीनियरिंग, विमानन एवं रसद विभाग के कर्मियों के अलावा सुरक्षा सैनिक तैनात थे. अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहाकि अमेरिका अपने सैनिकों और अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करेगा. ऑस्टिन ने कहा कि सैनिकों को आतंकी संगठन आईएसआईएस को स्थायी रूप से हराने के लिए वहां तैनात किया गया था.