बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई मुहर…..

भक्तों को दर्शन और पूजा की सुविधा के लिए मंदिर के आसपास करीब पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित होगी अधिग्रहित

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मथुरा स्थित बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर बनाए जाने को लेकर मचा घमासान अंतत: खत्म हो गया. इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में फैसला सुनाते हुए बांके बिहारी कॉरिडोर बनाए जाने की यूपी सरकार की इस योजना पर आज यानी मंगलवार को मुहर लगा दी. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की बेंच ने आनंद शर्मा और मथुरा के एक अन्य व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद इस आदेश पारित कर दिया है.

आपको बता दें कि, इससे पहले राज्य सरकार ने कॉरिडोर के विकास से संबंधित योजना अदालत के आगे रखी थी. वही यूपी सरकार ने बताया है कि, ”भक्तों को दर्शन और पूजा की सुविधा के लिए मंदिर के आसपास करीब पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी. गोस्वामियों द्वारा की जाने वाली पूजा, अर्चना या श्रृंगार में किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. उनके पास जो भी अधिकार हैं, वे उनका उपयोग करते रहेंगे. सरकार पार्किंग क्षेत्र जैसी सुविधाएं भी बनाएगी और इसका खर्च भी वहन करेगी.”

”परामर्श के बाद जो भी उचित समझे, वो कदम उठाएं.”

याचिका से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि, ”राज्य सरकार इस अदालत को सौंपी गई योजनाओं और उनके कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़े. अदालत न्याय के हित में उचित और आवश्यक मानती है. हम इसे राज्य सरकार के लिए खुला छोड़ते हैं. योजना को लागू करने के लिए क्षेत्र के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद जो भी उचित समझे, वो कदम उठाएं.”

अदालत ने मंदिर परिसर के आसपास अतिक्रमण के मुद्दे पर कहा, ”राज्य सरकार मंदिर तक पहुंच मार्गों (गलियों) पर अतिक्रमण हटाने के लिए उचित कदम उठाने के लिए भी स्वतंत्र है. अदालत ने कहा, योजना के कार्यान्वयन के बाद राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि मंदिर तक पहुंच मार्गों पर कोई और बाधा/अतिक्रमण नहीं होने दिया जाए.”

अधिकारियों को दिए गए निर्देश

भक्तों की समस्याओं के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि, ”हम यह स्पष्ट करते हैं कि योजना के कार्यान्वयन को छोड़कर भक्तों के दर्शन में किसी भी तरह से बाधा नहीं डाली जाएगी. उचित विकल्प व्यवस्था की जाएगी. वर्तमान प्रबंधन के साथ-साथ सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि भक्तों के दर्शन पर किसी भी तरह से और किसी के द्वारा प्रतिबंध नहीं लगाया जाए. आदेश में कहा गया है, जिला के अधिकारियों को निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है और किसी भी कार्य के उल्लंघन की सूचना कोर्ट को दी जाए.”

‘याचिका में प्रशासन की जिम्मेदारी पर उठाए सवाल’

जनहित याचिका को लेकर कहा कि, ”श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण कानून-व्यवस्था की समस्या हो रही है. चोरी, लूट और संपत्ति के नुकसान के लिए कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. याचिका में भारी भीड़ के कारण भक्तों की मौत के मामलों का भी जिक्र किया गया. याचिकाकर्ता के अनुसार, स्थानीय प्रशासन मंदिर तक उचित पैदल गलियारे सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है, लेकिन वो दायित्व में पूरी तरह से विफल रहा है. कई दुर्घटनाओं के बावजूद जिला प्रशासन या राज्य सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है. हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 31 जनवरी 2024 तय की है.”

कैसा होगा बांके बिहारी का कॉरिडोर ?

मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में भी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने की योजना है. इसके सर्वे का कार्य पूरा हो गया है, साथ ही पांच एकड़ में पूरा कॉरिडोर बनाया जाएगा. यूपी के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने पिछले अगस्त में कहा था कि, ये कॉरिडोर मंदिर और यमुना नदी को जोड़ेगा. ये काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह होगा. मंदिर यमुना नदी से जुड़ी है.

मंदिर जाने के लिए होंगे तीन रास्ते

– प्रस्तावित योजना में कॉरिडोर से मंदिर जाने के तीन मार्ग होंगे, पहले जुगलघाट जाएगा, दूसरा विद्यापीठ चौराहे होकर रास्ता जाएगा और अंतिम व तीसरा रास्ता जादौन पार्किंग से होगा.

– जुगलघाट से सड़क 25 मीटर चौड़ी होगी, विद्यापीठ चौराहे की सड़क 7 मीटर चौड़ी होगी, जबकि जादौन पार्किंग 15 मीटर चौड़ी होगी. इन तीन मार्गों से मंदिर जा सकता है.

कॉरिडोर में क्या – क्या होगा खास ?

– इस कॉरिडोर में परिक्रमा मार्ग भी बनाया जाएगा. इसका ऊपरी हिस्सा 11 हजार 600 वर्ग मीटर का होगा, जबकि निचला हिस्सा 11 हजार 300 वर्ग मीटर का.

– प्रस्तावित कॉरिडोर में श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर के साथ-साथ चार और प्राचीन मंदिर के दर्शन भी कर सकेंगे. इनमें मदन मोहन मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर भी शामिल है. ये दोनों प्राचीन मंदिर हैं.

– इस कॉरिडोर में भी एक परिक्रमा मार्ग भी बनाया जाएगा, जिसका ऊपरी भाग 11 हजार 600 वर्ग मीटर और निचला भाग 11 हजार 300 वर्ग मीटर का होगा.

– प्रस्तावित कॉरिडोर में श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर सहित चार अतिरिक्त प्राचीन मंदिरों का दर्शन कर सकेंगे, मदन मोहन मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर भी इनमें हैं. दोनों मंदिर प्राचीन हैं.

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कितना होगा अधिग्रहण ?

– बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर पांच एकड़ क्षेत्र में बनेगा, कॉरिडोर तक पहुंचने वाले मार्गों को भी बढ़ाया जाएगा.

– कॉरिडोर के माध्यम से आने वाले 321 इमारतों और जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. इसके लिए मुआवजा राशि 200 करोड़ रुपये प्रस्तावित है.

कॉरिडोर से क्या होगा लाभ ?

– इस कॉरिडोर ने यमुना नदी और मंदिर को जोड़ा जाएगा, यमुना में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु कॉरिडोर के माध्यम से मंदिर तक सीधे पहुंच सकेंगे.

– पिछले अगस्त में यूपी सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि, ”मंदिर में अभी एक बार में करीब 800 श्रद्धालु ही आते हैं, लेकिन कॉरिडोर बनने पर यहां पांच हजार लोग आ सकेंगे.”

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