ये रेलवे लाईन कब होगी आजाद?

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भारत के विकास में रेलवे का अहम योगदान है। भारतीय रेलवे के बिना शायद ही आज हम इतना आगे बढ़ पाते। लेकिन आज हम बात करेंगे उस ट्रेन की जो भारत में होते हुए भी इंडियन नहीं है। जी हां, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस ट्रेन की रॉयलिटी आज भी हम ब्रिटेन की एक कंपनी को देते हैं। इस ट्रेन का नाम ‘शकुंतला एक्सप्रेस’ है। 1951 में ही भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था, लेकिन यह ट्रेन कैसे बची रह गई? 1910 में ब्रिटेन की एक निजी कंपनी ने इस रेल लाइन को बिछाया था। देश में जिस समय ब्रिटिश हुकूमत थी, उस वक्त कई प्राइवेट फर्म ही रेल नेटवर्क को बिछाया करती थी और उन्हें अपने फायदे के लिए चलाया करती थी।

1 करोड़ 20 लाख लगान देती है सरकार

आजादी के इतने साल बाद भी भारत सरकार ब्रिटेन की इस प्राइवेट कंपनी को एक करोड़ 20 लाख रुपये देती है। ये ट्रेन करीब-करीब 150 साल पुरानी है। आज ये ट्रेन 189 किलोमीटर का सफर 4 घंटों में तय करती है। ये ट्रेन यवतमाल से लेकर मूर्तिजापूर तक चलती है। महाराष्ट्र के अमरावती में 190 किलोमीटर की एक रेलवे लाइन है। ब्रिटेन की कंपनी का इस रेल लाइन को बिछाने का मकसद यवतमाल के खेतों से कपास को मुंबई तक पहुंचाना था। इसके बाद वो कपास ब्रिटेन की कपड़ा फैक्टरी तक पहुंचता था।

ब्रिटिश कंपनी ने किया निर्माण

ये लाइन भारत में तब बनी जब 1910 में बाकी रेलवे का जाल बिछ रहा था। ब्रिटिश कंपनी किलिक निक्सन ने इसे बनाया था। उसके बाद सन 1951 में जब पूरे देश की रेल सरकारी हो गई। केंद्र सरकार के अंडर में भारतीय रेल बन गई। तो पता नहीं किस वजह से ये 190 किलोमीटर का ट्रैक छूट गया। इसकी वजह का पता आज तक नहीं चला है।

जनता का विरोध

स्थानीय लोगों की मांग है कि इस रूट पर दिए जाने वाला लगान भारत सरकार को बंद कर देना चाहिए। स्थानीय लोग इस रेल को भारतीय रेल में समावेशित करवाना चाहते हैं। इस ट्रेन के इंजन को इलेक्ट्रिकल इंजन  में बदलने के बारे में रेल अधिकारियों से बात चल रही है। फिलहाल ये स्टीम इंजन से ही चलती है। यह देश का दुर्भाग्य है कि अभी तक हमारे देश में होते हुए भी गुलामी की जंजीरों में शकुंतला एक्सप्रेस जकड़ी है। सरकार को जल्दी से जल्दी इसे आजाद कराना चाहिए।

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