अलीगढ़ हत्या मामला को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश

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यूपी के अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची की जघन्य हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस बर्बर कृत्य से स्थानीय लोगों में नाराजगी है और इस मामले में कई नए खुलासे सामने आ रहें हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिल दहला देने वाली है। बच्ची की एक किडनी नहीं मिली। एक हाथ शरीर से अलग था। मासूम को इस कदर मारा गया था कि उसकी नोजी ब्रिज (नाक और माथे को जोड़ने वाली हड्डी) टूट गई थी। उसके एक पैर में फ्रैक्चर हो गया था।

पोस्टमार्टम के मुताबिक बच्ची की मौत सदमे से हो गई थी। हालांकि, रिपोर्टों ने बलात्कार की संभावनाओं को खारिज कर दिया।

पुलिस द्वारा अब तक कुल चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। जाहिद और असलम मुख्य आरोपी हैं जिन्होंने हत्या की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। बाद में लाश को ठिकाने लगाया।

बताया जा रहा है कि आरोपी जाहिद और पीड़ित के पिता के बीच व्यक्तिगत दुश्मनी थी। मासूम के पिता ने आरोपी से कुछ पैसे भी लिए थे।

कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने पूछना शुरू कर दिया था कि इस साल की शुरुआत में जम्मू के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या पर हंगामा करने वाले लोग अब चुप क्यों हैं। यह सब शुरू हुआ क्योंकि पीड़ित परिवार हिंदू है और आरोपी परिवार मुस्लिम है।

सोशल मीडिया पर नफ़रत फैलाने वाले समुदायों ने मामले को धार्मिक लड़ाई में बदल दिया। पुलिस द्वारा दोनों आरोपियों जाहिद और असलम के नामों का खुलासा करने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सांप्रदायिक संदेश और नफरत भरे भाषणों की बाढ़-सी आ गई है।

इस पर पुलिस ने कहा, ‘हम सोशल मीडिया पर नजर रख रहे हैं और लोगों को भ्रामक और झूठी सूचना प्रसारित करने से बचने के लिए कह रहे हैं। जो लोग सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करेंगे उनसे सख्ती से निपटा जाएगा।’

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