चीते वाले ट्वीट पर ट्रोल हुए अखिलेश यादव, बीजेपी ने साधा निशाना, जानिए चीतों की सच्चाई
बीते शनिवार (17 सितंबर) को पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर नामिबिया से लाए गए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के बेड़े में छोड़ा था. इसको लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया था और लिखा था कि सबको इसकी दहाड़ का इंतजार था. इसको लेकर दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता अजय शेरावत ने ट्वीट करते हुए उन पर निशाना साधा है. लेकिन क्या सच में चीते दहाड़ते है या गुर्राते हैं? इसके बारे में जानिये…
दरअसल, अखिलेश यादव ने चीते का एक वीडियो पोस्ट किया और कैप्शन में लिखा ‘सबको इंतज़ार था दहाड़ का… पर ये तो निकला बिल्ली मौसी के परिवार का.’
सबको इंतज़ार था दहाड़ का… पर ये तो निकला बिल्ली मौसी के परिवार का. pic.twitter.com/O6CcygRfpg
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 17, 2022
इसको लेकर ट्विटर पर लोगों ने जमकर उन्हें ट्रोल किया.
वहीं, दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता अजय शेरावत ने अखिलेश का मजाक उड़ाते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा ‘ये ऑस्ट्रेलिया से पढ़े हैं. सारा पैसा बर्बाद.’
Ye Australia se padhe hai… Sara paisa barbad 😂 pic.twitter.com/XLmywLhJQi
— Ajay Sehrawat (@IamAjaySehrawat) September 17, 2022
अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा ‘कोई अखिलेश भईया को बताओ बिल्ली, चीता और शेर अलग अलग होते हैं.’
कोई अखिलेश भईया को बताओ बिल्ली,चीता और शेर अलग अलग होते हैं😄
— Ajay Sehrawat (@IamAjaySehrawat) September 17, 2022
दहाड़ते नहीं हैं चीते…
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शेर, बाघ, तेंदुए और जगुआर के मुकाबले चीते दहाड़ते नहीं हैं. वहीं, नेशनल जियोग्राफिक की वेबसाइट के मुताबिक, शेर, बाघ और तेंदुए की तरह चीता दहाड़ते नहीं हैं. बल्कि बिल्ली जैसे म्याऊं या घुरघुराहट वाली आवाज करते हैं. चीता महज 3 सेकंड में 100 मीटर की दौड़ लगा सकता है जो अधिकतर कारों से कहीं तेज है. हालांकि, वह आधा मिनट से ज्यादा अपनी यह रफ्तार कायम नहीं रख सकता.
टायर की तरह काम करते हैं पैर के तलवे…
नामीबिया स्थित गैर लाभकारी ‘चीता कंजर्वेशन फंड’ (सीसीएफ) ने कहा ‘चीते के पैर के तलवे सख्त और अन्य मांसाहारी जंतुओं की तुलना में कम गोल होते हैं. उनके पैर के तलवे किसी टायर की तरह काम करते हैं जो उन्हें तेज, तीखे मोड़ों पर घर्षण प्रदान करते हैं.’
जंगली प्रजातियों का शिकार करता है चीता…
सीसीएफ के अनुसार, चीते की लंबी मांसपेशीय पूंछ एक पतवार की तरह स्थिर करने का काम करती है और उनके शरीर के वजन को संतुलित रखती है. शिकार की गतिविधि के अनुसार अपनी पूंछ घुमाते हुए उन्हें तेज गति से उनका पीछा करने के दौरान अचानक तीखे मोड़ लेने में मदद मिलती है. इस प्रजाति के शरीर पर आंख से लेकर मुंह तक विशिष्ट काली धारियां होती हैं और ये धारियां उन्हें सूर्य की चकाचौंध से बचाती है. ऐसा माना जाता है कि चीता राइफल के स्कोप की तरह काम करता है, जिससे उन्हें लंबी दूरी पर भी अपने शिकार पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है.
चीता अक्सर जंगली प्रजातियों का शिकार करता है और घरेलू जानवरों का शिकार करने से बचता है, हालांकि बीमार या घायल और बूढ़ा या युवा या गैर अनुभवी चीता घरेलू मवेशियों को भी शिकार बना सकता है. अकेला वयस्क चीता हर 2 से 5 दिन में शिकार करता है और उसे हर 3 से 4 दिन में पानी पीने की जरूरत होती है. नर चीता आमतौर पर अकेला होता है, लेकिन उसके भाई अक्सर साथ रहते हैं और साथ मिलकर शिकार करते हैं. चीता अपना ज्यादातर वक्त सोते हुए बिताता है और दिन में अत्यधिक गर्मी के दौरान बहुत कम सक्रिय रहता है.
मादा चीता एकांत जीवन व्यतीत करती हैं और वे केवल संभोग के लिए जोड़ी बनाती हैं और फिर अपने शावकों को पालते हुए उनके साथ रहती हैं. मादा चीते की गर्भावस्था महज 93 दिन की होती है और वह 6 शावकों को जन्म दे सकती हैं. जंगल में चीते का औसत जीवन काल 10-12 वर्ष का होता है और पिंजरे में वे 17 से 20 साल तक रह सकते हैं.
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