वाराणसी में अजय राय ने मोदी के नामांकन पर खड़े किए सवाल

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वाराणसी का चुनाव प्रशासन पूरी तरह भाजपा प्रत्याशी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के इशारों पर उनके चुनावी लाभ में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इंडी गठबंधन और कांग्रेस के प्रत्याउशी अजय राय ने शनिवार को प्रेसवार्ता में आरोप लगाया कि इसके कई उदाहरण हैं, जैसे मोदी के नामांकन पत्र के कई कालमों में वांछित सूचना नहीं भरे जाने के बावजूद आपत्तियां आमंत्रित किये बिना उनके पर्चे को दबाव में एकतरफा वैध घोषित करना, रुद्राक्ष सांस्कृतिक कन्वेंशन सेंटर को चुनावी राजनीतिक संवाद के लिये आबंटित होना और उनके आने जाने एवं रोड शो के मार्गों पर विशेष सज्जा एवं रोशनी आदि में शासकीय एवं अर्ध शासकीय निकायों द्वारा व्यय के अलावा प्रत्याशी द्वारा बसों, अन्य वाहनों, फूलों आदि पर किये गये भारी चुनावी धन व्यय की अनदेखी करना आदि.

एक शीर्ष अधिकारी को हटाने की मांग

अजय राय ने आरोप लगाया कि यह सब प्रधानमंत्री की विशेष कृपा से लगभग पांच वर्षों से एक ही स्थान वाराणसी में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रखे गये एक शीर्ष उच्चाधिकारी के दबाव में हो रहा है. उन पर विगत चुनावों में भी पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं. उन्हें यहां से हटाये जाने की मांग प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर की है.

यह नितांत आपत्तिजनक है कि अन्य प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों की छानबीन में दो तीन बार तक पुकार लगाकर आपत्ति आमंत्रित की गई, लेकिन नरेन्द्र मोदी के पर्चे को बिना आपत्ति आमंत्रित किये सबसे पहले वैध कर दिया गया, जबकि अपनी धर्मपत्नी की आय आदि से जुड़ी सूचनाओं के कालमों में उन्होंने कोई जानकारी नहीं भरी है. उन गंभीर कमियों के कारण ही भाजपा ने दल की ओर से एक डमी प्रत्याशी का भी नामांकन कराया था. इस स्थिति में कांग्रेस ने उनके नामांकन पर अपनी आपत्तियां चुनाव आयोग को आन-लाइन भेजी है.

रुद्राक्ष का आवंटन आचार संहिता का उल्लंघन

प्रधानमंत्री द्वारा अपने नामांकन के बाद रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में चुनावी संवाद सभा की गयी. उसका आबंटन चुनाव आचार संहिता के विरूद्ध है. भारत-जापान के बीच सांस्कृतिक संवर्धन करार के तहत जापान सरकार के धन से बनी वह पब्लिक प्रापर्टी है, जिसे एक निजी कंपनी संचालित करती है. सांस्कृतिक शैक्षिक आयोजनों के लिये प्रयुक्त होने वाले उस परिसर का प्रयोग पहली बार राजनीतिक लाभ के लिये प्रशासन के दखल से हुआ, जबकि शासन अनुदानित निजी कालेज आदि भी चुनाव प्रचार के लिये प्रयुक्त नहीं होते रहे हैं.

रुद्राक्ष का आबंटन यदि भाजपा प्रत्याशी को हुआ है, तो नियमों को शिथिल कर किसने किया. इसकी भी जांच कराने के साथ साथ चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करे कि बिना रियायत निर्धारित शुल्क जमा हुआ या नहीं ? नामांकन इवेंट व्यय प्रत्याशी के निजी खाते में जुड़ रहा है कि नहीं? साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि चुनाव में उन्हीं शर्तों पर अन्य दलों एवं उम्मीदवारों को भी रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का आबंटन किया जाय.

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अटैची परंपरा पर जनता लगाएगी विराम

अजय राय ने कहा कि अटैची लेकर बनारस आने जाने वाले सांसदों की परम्परा पर इस चुनाव में विराम लगाने का फैसला जनता लेगी. अटैची वाले ऐसे कई सांसद काशी आये एवं लौट गये और नरेंद्र मोदी भी लौट जायेंगे. कारण साफ है कि काशी में रम कर काशी को जीने की संवेदना इन लोगों में नहीं रही है. यदि काशी के लिये दिल में संवेदना होती, तो नरेन्द्र मोदी 01 लाख 54 करोड़ की लागत एवं 1 लाख रोजगार के प्रतिष्ठान फाक्सोन वेदांता सेमीकंडक्टर प्लांट तथा टाटा एयरबस सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट 2022 में और 10 हजार करोड़ का सब मेरीन प्रोजेक्ट 2024 में महाराष्ट्र से खींच कर गुजरात नहीं ले जाते है.

जिस बनारस से जीवन का सबसे बड़ा मर्तबा मिला, उसे अपने उसी बनारस क्षेत्र में ले आते और बच्चों को रोजगार के बड़े अवसर खोलते. काशी के युवाओं के लिये संवेदना दिल में होती, तो अमूल डेयरी प्लांट में या सरकारी जमीन पर बने अडाणी के स्माल बायोगैस प्लांट में सभी स्थायी कर्मी गुजराती नहीं होते, बल्कि काशी के युवा होते और काशी के सारे निर्माण कार्य भी यहां के उद्यमी करते, न कि गुजरात के उद्यमियों की कंपनियां.

 

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