बाढ़ से प्रभावित किसानो को भरपाई के लिए बीमा ‘मुआवजा’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश को संबोधित करते हुए बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश में जब यह प्राकृतिक आपदा आती है तो कई एजेंसियां और स्वयंसेवी संगठन इस संकट को दूर करने में अपना योगदान देते हैं।
मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि बाढ़ के दौरान सरकारी एंजेसियां, भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, अर्ध-सैन्य बल सहित हर कोई आपदा पीड़ितों की मदद में जी-जान से जुट जाता है।
नुकसान की भरपाई के लिए बीमा
उन्होंने यह भी कहा कि बाढ़ से किसान सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसलिए उनकी सरकार किसानों को और फसलों को जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई के लिए बीमा के माध्यम से किसानों को जल्द मुआवजा दिलाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि हलांकि, तकनीकी उन्नति के कारण अब मौसम की अधिक सटीकता के साथ भविष्यवाणी की जा सकती है।
घर में टॉयलेट होना चाहिए
कर्नाटक के कोप्पाल ज़िले में 16 साल उम्र की एक बेटी मल्लम्मा, इस बेटी ने अपने परिवार के ख़िलाफ़ ही सत्याग्रह कर दिया। बेटी मल्लम्मा की ज़िद ये थी कि घर में टॉयलेट होना चाहिए। अब परिवार की आर्थिक स्थिति नहीं थी, बेटी ज़िद पर अड़ी हुई थी। गांव के प्रधान मोहम्मद शफ़ी ने टॉयलेट बनवाया।
सरकार ने लोगों से आह्वान किया है कि आप 2-3 मिनट की स्वच्छता की फ़िल्म बनाइए, ये शॉर्ट फिल्म भारत सरकार को भेज दीजिए।
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वेबसाइट पर इसकी जानकारियां मिल जाएंगी। उसकी स्पर्धा होगी और 2 अक्टूबर ‘गांधी जयंती’ के दिन जो विजयी होंगे, उनको इनाम दिया जाएगा। ये ज़रूरी नहीं है कि फ़िल्म बनाने के लिए स्टूडियो, कैमरा चाहिए, आजकल तो मोबाइल फोन के कैमरा से भी आप फ़िल्म बना सकते हैं
पिछले दिनों राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जीने कोलकाता में एक नये कार्यक्रम की शुरुआत की आकाशवाणी मैत्री चैनल -हमारे पड़ोस में बांग्लादेश है।
हम जानते हैं, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल एक ही सांस्कृतिक विरासत को ले करके आज भी जी रहे हैं। तो इधर “आकाशवाणी मैत्री” और उधर “बांग्लादेश बेतार” आपस में कंटेट शेयर करेंगे, दोनों तरफ़ बांग्लाभाषी लोग “आकाशवाणी” का मज़ा लेंगे। पीपल टू पीपल कॉन्टेक्ट का “आकाशवाणी” का बहुत बड़ा योगदान है। मैं बांग्लादेश का धन्यवाद करता हूं कि इस काम के लिए हमारे साथ वे जुड़े
पिछले दिनों मुझे ऐसा पत्र मिला, मेरे मन को छू गया। क़रीब 84 साल की एक मां, जो रिटायर्ड टीचर हैं, उन्होंने मुझे ये चिट्ठी लिखी। उन्होंने ये लिखा कि आपने जब गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए अपील की थी, तो मैंने छोड़ दी थी और बाद में मैं तो भूल भी गई थी।
कश्मीर में जो कुछ भी हुआ…
पिछले दिनों मुझे इस give it up के लिए आपका धन्यवाद पत्र मिला। मेरे लिए भारत के प्रधानमंत्री का पत्र एक पद्मश्री से कम नहीं है। एक पेंशन पर गुज़ारा करने वाली मां जब 50 हज़ार रुपये गरीब माताओं को चूल्हे के धुएं से मुक्त कराने के लिए दे तो सवाल उसकी भावना का है पिछले वर्ष अकाल के कारण हम परेशान थे, लेकिन ये अगस्त महीना लगातार बाढ़ की कठिनाइयों से भरा रहा अगस्त 2016 में घोर राजनैतिक विरोध रखने वाले दल, सभी दलों ने मिल कर के GST का क़ानून पारित किया। इसका क्रेडिट सभी दलों को जाता है कश्मीर में जो कुछ भी हुआ, उस कश्मीर की स्थिति के संबंध में, देश के सभी राजनैतिक दलों ने मिल करके एक स्वर से कश्मीर की बात रखी।
एकता’ और ‘ममता’ मूल बिन्दु रहे
गांव के प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक का मत है- कश्मीर में अगर नौजवान या सुरक्षाकर्मी की जान जाती है, ये नुकसान अपने देश का ही है। जो लोग छोटे-छोटे बालकों को आगे कर कश्मीर में अशांति पैदा करने का प्रयास कर रहे, कभी-न-कभी उनको इन निर्दोष बालकों को जवाब देना पड़ेगा। कश्मीर पर मेरे द्वारा हाल में की गई सभी बातचीत में ‘एकता’ और ‘ममता’ मूल बिन्दु रहे। अगर कश्मीर में किसी व्यक्ति की जान जाती है तो वह हमारी क्षति है, चाहे वह कोई युवा हो या फिर कोई सुरक्षाकर्मी ।
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