नगा शांतिवार्ता का अंतिम चरण , चुनाव पर अभी संदेह
नगा शांतिवार्ता के अंतिम चरण में पहुंचने के बाद नगालैंड में सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों और शीर्ष राजनीतिक राजनेताओं का कहना है कि शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की वजह से मार्च 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तिथि में बदलाव हो सकता है।
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अंतरिम सरकार ने कहा था…
कई लोगों ने इस वर्ष के अंत तक छह दशक लंबे चले नगा विवाद के पटाक्षेप की आशा जताई थी। अंतरिम सरकार ने कहा था कि वह राज्य में प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था को सही करने के लिए काम करेगी, जिससे पूरा समाधान निकलने तक सरकार को कुछ राजनीतिक स्वायत्ता मिल सकती है।
आगामी चुनाव के बारे में सोच सकते हैं
नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा में सांसद नेफियु रियो ने आईएएनएस को बताया, “अगर नगा विवाद का हल विधानसभा चुनाव के पहले होता है तो अंतरिम सरकार को कम समय में काफी काम करने होंगे, क्योंकि समझौते के बाद काफी कुछ होगा और चीजें बदलेंगी। उसके बाद हम आगामी चुनाव के बारे में सोच सकते हैं।
केंद्र सरकार को वार्ता जारी रखनी चाहिए
उन्होंने कहा, “नगा लोग किसी भी कीमत पर समस्या का सामाधान चाहते हैं और मैंने संसद में बार-बार कहा है कि केंद्र सरकार को वार्ता जारी रखनी चाहिए और इसका समाधान चुनाव से पहले होना चाहिए।
अभी बातचीत जारी है
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एच.एस. ब्रह्मा ने आईएएनएस को बताया, “विशेष आग्रह पर राज्य में चुनाव को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है, यह खासकर नगा फ्रेमवर्क समझौते की वजह से संभव है। निर्वाचन आयोग खुद चुनाव को रद्द नहीं कर सकता, जब तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से विशेष अनुरोध न किया जाए। यह प्राय: राष्ट्रीय आपदा एवं कानून-व्यवस्था से जुड़े मुद्दे की वजह से हो सकता है। नगालैंड के मामले में, जहां अभी बातचीत जारी है, विधानसभा के कार्यकाल पूरा होने के पहले विशेष अनुरोध करना होगा।
सोसायटी समूहों ने यह स्पष्ट कर दिया
शक्तिशाली नगा होहो और इस्टर्न नगालैंड पीपुल ऑर्गनाइजेशन (इएनपीओ) जैसे सिविल सोसायटी समूहों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर सरकार नगालैंड में एक सौहार्दपूर्ण हल निकालना चाहती है तो यह आगामी विधानसभा के पहले करना होगा।
सरकार इस संबंध मे कोई सौहार्दपूर्ण समाधान चाहती है
नगा हो हो के अध्यक्ष चुबा ओजोकुम ने कहा, “इस समय हम नगालैंड में कोई भी भारतीय चुनाव नहीं चाहते। अभी हाल में ही शांति समझौते के वार्ताकार आर.एन.रवि नगालैंड आए थे। हमने उन्हें स्पष्ट कहा है कि अगर भारत सरकार इस संबंध मे कोई सौहार्दपूर्ण समाधान चाहती है तो यह आगामी विधानसभा चुनाव से पहले होना चाहिए।
लोग सहज नहीं हैं
उन्होंने कहा, “नागा मुद्दे के सामाधान के बिना विधानसभा चुनाव को रोकने से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।आजोकुम ने कहा, “हम शांति समझौतों को हमेशा नहीं चला सकते। 20 वर्षो से चले आ रहे शांति समझौता काफी है। लोग सहज नहीं हैं, हमलोग थक गए हैं। अगर चुनाव से पहले कोई राजनीतिक हल नहीं निकाला गया तो नगा लोग खुद तय करेंगे की उन्हें क्या करना है।नगा फ्रेमवर्क समझौते पर 3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षर हुए थे। उसके बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव होने वाला है।
केंद्र के बीच नगा समस्या का अंतिम सामाधान निकालने के उद्देश्य से किया गया
यह समझौता एनएससीएन के सबसे बड़े और शक्तिशाली धड़े नेशनलिस्ट सोशिलिस्ट कांसिल ऑफ नगालिम (इसाक-मुइवाह) और केंद्र के बीच नगा समस्या का अंतिम सामाधान निकालने के उद्देश्य से किया गया था। पहले नगा समूहों की मांग संप्रभुता से संबंधित थी और बाद में यह मांग मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम के नगा बसावट वाले इलाके को मिलाकर ग्रेटर नगालिम बनाने की हो गई।
हम इसका समर्थन करेंगे
ईपीएनओ के अध्यक्ष खोइवांग कोंयाक ने आईएएनएस से कहा, “यह समय इंतजार करने और देखने का है, वास्तव में, नगा लोग इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि पहले क्या आता है, समाधान या चुनाव। अगर चुनाव पहले आता है तो हम चुनाव में शामिल होंगे और अगर पहले समाधान निकाला जाता है तो हम इसका समर्थन करेंगे।
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