आखिर हार क्यों नहीं मान रही है Congress? …
जनता का फैसला स्वीकार नहीं
देश के पांच राज्यों में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में हिंदी पट्टी तीन राज्यों में बीजेपी को मिली भारी जीत के बाद कांग्रेस (congress) जैसी देश की सबसे पुरानी पार्टी जो तेवर दिखा रही है. वह कहीं से भी उसे सूट नहीं कर रहा है. उसे इनकार भी नहीं किया जा सकता कि देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका रही है.
अब आज की कांग्रेस को क्या हो गया है? कांग्रेस के ट्विटर हैंडल और बड़े नेता इसे EVM की जीत बता रहे हैं कांग्रेस के बौद्धिक साथी लगातार इसे उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत बताने में तुले हुए हैं. कांग्रेस के एक सहयोगी दल डीएमके के सांसद लोकसभा में बीजेपी को वोट देने वाले प्रदेश को गौमूत्र राज्य कह के चिढ़ा रहे हैं. क्या इस प्रकार कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव को भी नहीं जीतना चाहेगी?.
क्या इस तरह के विश्लेषण से पार्टी अपनी कमियों पर ध्यान दें सकेगी. कहीं ऐसा तो नहीं है कि यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा हो. कांग्रेस अपने पैरों पर कुल्हाड़ी क्यों मार रही है. देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी जिस तरह से तीन राज्यों में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है उसको लेकर वह उत्तर बनाम दक्षिण से जोड़ रहे हैं. क्या वह इस बहाने कांग्रेस को मिली करारी हार के जख्म को मिटाने का प्रयत्न कर रहे हैं या सोची समझी साजिश है ताकि आगामी चुनाव में दक्षिण में अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके.
आपको बता दें कि हिंदी पट्टी राज्यों में बीजेपी की प्रचंड जी के बाद विवाद की शुरुआत कांग्रेस नेता कीर्ति चिदंबरम ने की. उन्होंने अपनी पार्टी की तेलंगाना पर जीत और भाजपा की तीन राज्यों में निर्णायक जीत हासिल करने पर नाराजगी जताई. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कई पोस्ट किए जिसके बाद मतदाताओं के बीच उत्तर- दक्षिण विभाजन पर बहस चढ़ गई. बहस छिड़ने के बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पोस्ट डिलीट कर दिए.
जनता का फैसला स्वीकार नहीं
मध्य प्रदेश में मिली हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में हार के लिए EVM को जिम्मेदार ठहराया. वह कांग्रेस की हताशा को दिखता है. दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया कि पोस्टल बैलट में कांग्रेस हर सीट पर बढ़त बनाई हुई थी तो ईवीएम में क्यों पीछे गई सभी जानते हैं. OPS स्कीम के लिए किया गया कांग्रेस पार्टी का वादा सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत फायदेमंद था जाहिर है कि सरकारी कर्मचारी क्यों नहीं कांग्रेस को वोट देते पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल 99% स्टेट गवर्नमेंट के कर्मचारी ही करते हैं जिनकी ड्यूटी चुनाव पर लगाई जाती है. एमपी कांग्रेस के हैंडल ने जनता को संबोधित करते हुए लिखा “ईवीएम जीत गया और आपका मत हार गया”.
डीएमके सांसद को भी कांग्रेस के हारने का दर्द
कांग्रेस की सहयोगी पार्टी DMK को भी कांग्रेस की हार का दर्द हुआ है. जिसके बाद उनको लगा कि बीजेपी अब तमिलनाडु में भी जगह बनाने वाली है. डीएमके सांसद सेंथिल कुमार ने संसद में कहा कि इस देश के लोगों को यह सोचना चाहिए कि बीजेपी की ताकत केवल मुख्य रूप से हिंदी के राज्यों में चुनाव जीतना है जिसे हम आमतौर पर गोमूत्र राज्य कहते हैं.लेकिन संसद में भाजपा सांसदों के द्वारा लगातार माफी मांगे जाने को लेकर किया जा रहे प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करके माफी मांग ली है. वहीं कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा कि डीएमके की राजनीति अलग है. कांग्रेस उनकी राजनीति से सहमत नहीं है. कांग्रेस सनातन धर्म और गौमाता में भी विश्वास करती है इस तरह की विनाशकारी सोच डीएमके लगातार दिखाती रहती है.
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दक्षिण में भी भाजपा मजबूत
आपको बता दें कि कांग्रेस का अब दक्षिण भारत से भी भ्रम टूट चुका है. लगातार भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अभी तक 9 सीटें और 14 फीसद वोट मिले हैं जो लगातार बढ़ रहा है. उम्मीद है कि 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी एक बात और है कि आज की तारीख में बीजेपी के दक्षिण भारत में कांग्रेस से अधिक लोकसभा सांसद हैं. कर्नाटक और तेलंगाना को मिलाकर भाजपा के 29 लोकसभा सांसद है जबकि कांग्रेस के केरल में 15 तमिलनाडु में आठ तेलंगाना में तीन और कर्नाटक तथा पांडिचेरी में एक-एक मिलाकर कुल 28 सांसद है.
वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा कर्नाटक में एक मजबूत खिलाड़ी है और आगामी लोकसभा चुनाव में वह वहां से बड़ी जीत हासिल कर सकती है उत्तर दक्षिण विभाजन का या सिद्धांत बहुत ही बकवास है.