प्रो. ओमशंकर के समर्थन में अधिवक्ता भी उतरे, निकाला आक्रोश मार्च

अधिवक्ता, छात्र और शहर के सामाजिक संगठन हुए लामबंद, बीएचयू प्रशासन को दी गई चेतावनी

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वाराणसी: सर सुंदरलाल हॉस्पिटल (बीएचयू) के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओम शंकर का कमरा नंबर 19 में लगातार छठवें दिन गुरुवार को भी अनशन जारी रहा. हृदय विभाग को आवंटित बेड देने की मांग को लेकर अनशनरत प्रो. ओमशंकर का स्वास्थ्य भी गिरने लगा है. पिछले पांच दिनों में उनका वजन पांच किलोग्राम कम हो गया. हालत बिगड़ने की जानकारी पर अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम ने उनके स्वास्थ्य की जांच की. प्रो. ओमशंकर की हालत बिगड़ती देख और उनके मांगों के समर्थन में अधिवक्ता, छात्र और शहर के सामाजिक संगठन भी लामबंद होने लगे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को प्रो. ओम शंकर के समर्थन में दी तहसील बार एसोसिएशन राजातालाब के अधिवक्ताओं ने लामबद्ध होकर आक्रोश मार्च निकाला.

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मार्च में शामिल अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रो. ओमशंकर बीएचयू अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार पर हमेशा ही पूरे दमख़म से प्रहार करने में सक्रिय रहे हैं. इस बार भी उन्होंने बेहद गंभीर मुद्दे पर सभी प्रयासों के विफल होने के बाद आमरण अनशन शुरू किया है. अधिवक्ताओं ने कहा कि पहले सर सुंदरलाल अस्पताल के पुराने भवन में कार्डियोलॉजी विभाग में 47 बेड ही थे, लेकिन डॉ. ओमशंकर के बनारस में एम्स स्थापित किए जाने के लिए वर्षों के आंदोलन के बाद वर्तमान सरकार ने सुपर स्पेशलिटी विभागों में बिस्तरों की कमियों को दूर करने के लिए 450 बेड के नए सुपर स्पेशलिटी भवन बनाने के लिए धनराशि आवंटित की. सुपर स्पेशलिटी भवन बनने के बाद इस भवन में हृदय विभाग को सेवा विस्तार के लिए 41 और बिस्तर आवंटित किए गए, जिस पर चिकित्सा अधीक्षक को कई सारे पत्र लिखने के बाद भी लगातार उसमें डिजिटल ताला लॉक किया गया है. प्रो. ओमशंकर बेड की समस्या को लेकर बार-बार प्रश्न उठाते रहे.

जांच कमेटी की सिफारिशों को नहीं किया गया क्रियान्वित

अगस्त-2023 में इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई. कमेटी दो महीने के गहन विमर्श के बाद अक्टूबर के पहले हफ्ते में बहुमत से इस निष्कर्ष पर पहुंची कि हृदय विभाग अब पुराने भवन में आवंटित बिस्तरों के बदले सम्पूर्ण हृदय विभाग को सुपर स्पेशलिटी भवन में स्थानांतरित कर दिया जाए. यहा पर हृदय विभाग को संपूर्ण चौथा तल और आधा पंचम तल दिया जाय, लेकिन पांच महीने बीत जाने और कुलपति, निदेशक और चिकित्सा अधीक्षक को बार-बार पत्र लिखकर समिति की संस्तुतियों को लागू करने के आग्रह के बाद भी इस पर कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई. विवश होकर मार्च के पहले हफ्ते में सबंधित अधिकारियों को 8 मार्च से बेमियादी आमरण अनशन शुरू करने के लिए प्रो. ओमशंकर ने पत्र लिखा था. इसके बाद 08 मार्च को चिकित्सा विज्ञान केंद्र के निदेशक, डीन और प्रो. ओमशंकर के बीच आम सहमति बनी कि समिति द्वारा हृदय विभाग को आवंटित सभी बेड तत्काल प्रभाव से डिजिटली अनलॉक करके हृदय विभाग को मरीजों की सेवा के लिए उपलब्ध होगा. इसके बाद एक सप्ताह बीत गया जब डॉ. केके गुप्ता ने आंवटित बेड देने के प्रस्ताव को लागू नहीं किया तो डॉ. शंकर ने कुलपति, चिकित्सा अधीक्षक, निदेशक को उस आदेश को लागू करने के लिए एक पत्र लिखा. इस पत्र के बाद भी दो हफ्ते बीत गए लेकिन डॉ. केके गुप्ता ने आदेश का पालन नहीं किया.

स्मृति पत्र की हुई अनसुनी तो आमरण अनशन पर बैठे ओमशंकर

आदेश का अनुपालन नहीं होने पर प्रो. ओमशंकर ने कुलपति, चिकित्सा अधीक्षक और निदेशक को फिर से एक रिमांडर लेटर लिखा. इसके बाद आमरण अनशन के लिए बाध्य हुए. उधर, प्रो. ओमशंकर ने दो टूक कहा कि जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाएंगी अनशन जारी रहेगा. आक्रोश मार्च के दौरान तहसील बार एसोसिएशन राजातालाब के महामंत्री अधिवक्ता नागेश उपाध्याय, पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह, सर्वजीत भारद्वाज, छेदीलाल यादव, दिनेश शर्मा, ज्ञानप्रकाश, नंदकिशोर, बनारसी, नारायणी सिंह, जितेंद्र यादव, लक्ष्मीकांत, प्रदीप सिंह बृजेश, विजय भारती, रमेश, राजेंद्र इतिहास सहित अन्य अधिवक्ता रहे.

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