मध्यप्रदेश के जबलपुर में नगर निगम के एक कर्मचारी की विधवा से बीमा की राशि के भुगतान के एवज में रिश्वत लेते पकड़े गए लेखापाल (अकाउंटेंट) संतोष यादव को अपर सत्र न्यायाधीश (एडीजे) अक्षय कुमार द्विवेदी ने मंगलवार को चार साल की कैद और तीन हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
वेतन भोगी कर्मचारी संतोश यादव पदस्थ
शासकीय अधिवक्ता प्रभात शुक्ला ने बताया कि कुसुम बाई का पति नगर निगम में कार्यरत था, जिसकी मौत हो गई थी। पति की बीमा राशि प्राप्त करने के लिए महिला ने लालमाटी स्थित नगर निगम के जोन कार्यालय में संपर्क किया। लालमाटी जोन कार्यालय में लेखापाल के पद पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संतोश यादव पदस्थ था।
लेखापाल दो हजार रुपये की रिश्वत मांग
बीमा राशि की पहली किस्त 20 हजार रुपये जारी करने के लिए लेखापाल ने महिला से दो हजार रुपये रिश्वत के तौर पर लिए। दूसरी किस्त तीस हजार रुपये जारी हुए थे, जिसे जारी करने के एवज में लेखापाल दो हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था।
तीन हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया
शुक्ला के मुताबिक, महिला ने महेंद्र परोचे के माध्यम से लेखापाल की शिकायत लोकायुक्त से की। शिकायत पर लोकायुक्त ने लेखापाल को 25 जून 2015 को कार्यालय में दो हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। प्रकरण की सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए आरोपी को चार साल कैद और तीन हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया।
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