20 हजार राजनीतिक मुकदमें वापस लेगी योगी सरकार

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विधानसभा में गुरुवार को यूपीकोका पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार 20 हजार राजनीतिक मुकदमे वापस लेगी। मुख्यमंत्री ने यूपीकोका को प्रदेश के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि इसका दुरूपयोग किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे चिंतित होने की जरुरत नहीं है। प्रदेश की छवि बचाने के लिए अपराधी, राजनेता और अफसर के बीच का गठजोड़ तोड़ना बहुत जरूरी है।

20 हजार मुकदमें होंगे वापस

मुख्यमंत्री ने 20 हजार राजनीतिक मुकदमे वापस लेने की घोषणा करने के साथ ही उत्तर प्रदेश दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) विधेयक, 2017 भी पेश कर दिया। इस विधेयक के लागू होने के बाद प्रदेश के न्यायालयों में सीआरपीसी की धरा 107 (शांति भंग की आशंका) और 109 के तहत लंबित लगभग 20 हजार मुकदमे वापस हो जाएंगे।

यूपीकोका पर विपक्ष ने काटा जमकर हंगामा

गौरतलब है कि पहले इस विधेयक में 2013 तक के मामले शामिल किए गए थे, लेकिन संशोधन में समयावधि 31 दिसम्बर 2015 तक बढ़ायी गई है।इससे पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा में उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट यानी यूपीकोका पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने इसका खुला विरोध किया है। सपा, बसपा और कांग्रेस ने इसे काला कानून करार देते हुए कहा है कि खुद बीजेपी ने 2007 में ऐसे ही कानून का विरोध किया था।

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अघोषित इमरजेंसी जैसा कानून है यूपीकोका- नेता प्रतिपक्ष

समाजवादी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाया कि​ यूपीकोका जैसे काले कानून के विरोध में नेता सदन कुछ सुनना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ये विधेयक प्रदेश की जनता, सभी वर्गों, पत्रकारों के लिए भी काला कानून है। अघोषित इमरजेंसी लगाने वाला ये विधेयक 6 नवम्बर 2007 को विधानसभा से विधान परिषद गया था और तत्कालीन राष्ट्रपति ने उसे मंजूरी नहीं दी थी।

2007 में यूपीकोका का बीजेपी कर चुकी है विरोध

2007 में बीजेपी ने यूपीकोका का विरोध किया था। ऐसा कानून जब पहले आया था, तब सुरेश खन्ना ने इसे अघोषित इमरजेंसी बताया था। 5 नवम्बर 2007 को सुरेश खन्ना ने सदन में भाषण दिया था। उस समय हुकुम सिंह ने कहा था कि इसमें किसी राजनैतिक व्यक्ति की सुरक्षा नहीं है। 2007 में हुकुम सिंह ने भी इसका विरोध किया था।

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