आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने लड्डू मिलावट को बताया महापाप, संतों से की अपील…

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वाराणसीः वाराणसी में अपने दो दिवसीय दौरे पर आए बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने शुक्रवार को तिरुपति के लड्डू में मिलावट को महापाप बताया. उन्होंने कहा कि प्रसाद में मिलावट देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. देश के संतो और मंदिरों के जितने भी आचार्य है, यदि उन्हें शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना है, तो प्रत्येक मठ और मंदिर की अपनी एक गौशाला होनी चाहिए. वहीं उन्होंने बताया कि वह भारत के हिंदुओं को जगाने और सनातनियों को जगाने के लिए गांव -गांव जाकर पिछड़े और बिछड़े लोगो को गले लगाने का काम करेंगे.

तो काशी बम -बम हो जाए…

धर्म की नगरी काशी में बिक रहे मांस और मंदिरा को काशी परिक्षेत्र से बाहर करने को लेकर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों से अपील की. उन्होंने कहा कि काशी में सबकुछ ठीक है, लेकिन एक बहुत बड़ी कमी है जो दूर हो जाए तो काशी बम -बम हो जाए. उन्होंने कहा कि काशी में बिकने वाले मांस मदिरा की दुकानें काशी परिक्षेत्र से बाहर हो.

काशी से गहरा नाता, काशी विश्वनाथ के दर्शन कर खुद को बताया धन्य

वाराणसी में अपने प्रवास के दूसरे दिन गंगा महल में रुके धीरेंद्र शास्त्री ने जानकारी दी कि उन्होंने काशी में बाबा श्री काशी विश्वनाथ, मां दुर्गा के मंदिर में दर्शन किया. इसके अलावा उन्होंने मोक्ष स्थल मार्णिकर्णिका घाट पर रात को समय भी बिताया. काशी नगरी हमारी प्राण है, हमारे दादा गुरु का शरीर भी यही पूर्ण हुआ था. काशी हमारे रोम रोम में है और काशी के वासी हमारे सिरमौर है.

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गांव-गांव पदयात्रा शुरू करने का किया ऐलान किया

इसके पूर्व बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने अपने शिष्य प्रशांत कुमार के घर हो रही बारिश के दौरान उनकी छत पर खड़े होकर भक्तों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि सारे हिंदुओं को एकजुट हो जाना है. वहीं गांव-गांव पदयात्रा शुरू करने का भी उन्होंने ऐलान किया . पीठाधीश्वर ने बताया कि 160 किलोमीटर की उनकी यह पदयात्रा गांव में पहुंची है, उनका कहना था कि, सारे बड़े-बड़े लोग तो उनतक आराम से पहुंच जाते थे लेकिन ,मध्यम वर्ग व नीचे के तबके के लोग उनके पास नहीं पहुंच पाते थे.

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इसलिए वह खुद चलकर उनके पास पहुंचेंगे और वे सबसे मिलेंगे. माह नवंबर में निकलने वाली पद यात्रा का पड़ाव सिर्फ गांवों में ही नहीं होगा बल्कि, उनकी पदयात्रा का मकसद किसी जात-पात ,ऊंच नीच सबको भूल कर गांव को और मजबूत करने की दिशा में, सनातन और हिंदू धर्म के सभी लोगों को एकजुट करना होगा.

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