मुफलिसी में बिक गया ‘घर का चिराग’

0

इलाज के लिए रुपये नहीं होने पर एक मजदूर  ने अपने 15 दिन के बेटे को बेच ( sold) डाला। अब उसे अपने बेटे की जुदाई का दर्द सता रहा है। लेकिन उसके पास इतने रुपये नहीं हैं, जिन्हें चुका कर वह अपने बेटे के वापस ला सके। खोह ढकिया गांव में मजदूर हरस्वरूप अपने परिवार के साथ रहता है। वह मेहनत मजदूरी कर अपनी पत्नी संजू बेटे विशाल (05), रोहित (02) का पालन पोषण करता था।

also read : हिंसा की शिकार महिलाओं को नहीं जाना होगा थाने

चार माह पूर्व वह उत्तराखण्ड के खटीमा में मजदूरी करने के लिए गया था। वहां उसके ऊपर एक मकान की दीवार गिर गई। इसमें उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। उसके साथ काम कर रहे अन्य मजदूरों ने जैसे-तैसे उसे घर पहुंचाया। वहां डाक्टरों ने हाथ खड़े करते हुए उसे दिल्ली या फिर लखनऊ के अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दे दी।

also read : जब ड्राइवर को बना दिया एक दिन का ‘डीएम’…

अब दिल्ली और लखनऊ के अस्पताल में इलाज और परिवार के भरण पोषण में रुपये की समस्या उसके सामने खड़ी हो गई।15 दिन पूर्व उसकी पत्नी ने बेटे अंकित को जन्म दिया। पहले से ही दो बेटों का पहले पालन पोषण और अपने इलाज के लिए रुपये नहीं होने से परेशान हर स्वरूप ने नवजात बेटे अंकित को बेचने का फैसला कर लिया। शनिवार को बहेड़ी के गांव नरायन नगला का एक ग्रामीण 42,000 रुपये में उसके 15 दिन के बेटे को खरीद कर ले गया।

(साभार-हिंदुस्तान)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More