बेटी ने ‘विधवा मां’ की शादी करा पेश की मिसाल
एक बेटी ने अपनी विधवा मां की दोबारा शादी कराकर समाज के सामने एक मिसाल पेश की है। गीता अग्रवाल के पति मुकेश गुप्ता की मौत मई, 2016 में हार्ट अटैक के बाद हो गई थी। जयपुर के एक स्कूल में पढ़ाने वाली गीता पति की मौत का सदमा सहन नहीं कर सकी और सदमे में चली गई। इतना ही नहीं गीता की बेटी संहिता भी काम के सिलसिले में गुड़गांव आ गई। बेटी के जाने बाद गीता बिल्कुल अकेली हो गई और हमेशा गुमसुम रहने लगी।
‘क्योरा डॉट कॉम’ पर अपने अनुभव शेयर करते हुए संहिता ने विस्तार से इस पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया है। संहिता ने बताया कि मां को अकेला छोड़ने पर उसे ग्लानि होती थी। हालांकि हफ्ते के अंत में वह जयपुर जाती थी। दो रात के लिए बेटी को पास देखकर मां खुश हो जाती थी, लेकिन बेटी के मन में मां को अकेले छोड़ने का गम हमेशा सताता रहता था। संहिता की एक बड़ी बहन भी है जो अपने परिवार में व्यस्त रहती है। संहिता बताती हैं, ‘मैं और मेरी मां घर में पिता की चीजों को देखकर दुखी रहा करते थे, हमेशा यही सोचते थे, पापा यहां बैठते थे, पापा ये खाते थे, और ना जाने क्या-क्या?’
मां की उदासी देखकर लिया फैसला
संहिता बताती हैं, ‘मुझे वह दिन आज भी याद है कि पिता की मृत्यु के छह महीने बाद मैंने काम पर लौटने का फैसला किया और मैंने घर के बाहर सीढ़ियों पर मां को उदास बैठे हुए देखा था। तभी मैंने फैसला किया कि मां को पिता की यादों से दूर रखने के लिए व्यस्त रखना होगा।’ ‘मुझे याद है कि मां नींद में पापा का नाम लेकर चिल्लाती थीं और अचानक ही नींद से उठकर मुझसे पूछती थीं कि पापा कहां हैं, मैं उनसे कहती थीं कि वह जल्दी वापस आएंगे।’
सभी को होती है साथी की जरूरत
बीते साल अगस्त में संहिता ने तय किया कि मां का दिल बहलाने के लिए एक पार्टनर की जरूरत है। संहिता कहती हैं, हर आदमी को एक साथी की जरूरत होती है। तुम हर बात अपने बच्चों या भाई-बहन के साथ साझा नहीं कर सकते। संहिता बताती हैं कि उसने अपनी मां से अनुमति लिए बिना ही 53 वर्षीय मां का एक प्रोफाइल बनाया और मैट्रिमोनियल साइट पर डाल दिया। इसमें संहिता ने खुद का फोन नंबर दिया था। साइट पर प्रोफाइल बनने से संहिता के पास लोगों के फोन आने लगे। सितंबर में संहिता जब अपनी मां के पास जयपुर गई तो उसने इस बारे में अपनी मां को बताया। गीता ने जब यह बात सुनी तो वह घबरा गईं कि यह कैसे संभव है। उसका परिवार और समाज इस बारे में क्या सोचेगा।
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गीता ने बताया, ‘मैं संहिता के आइडिया को लेकर परेशान होने लगी, क्योंकि रूढ़ीवादी परिवार और समाज में विधवा विवाह एक अपमानजनक बात है और वह भी इस उम्र में तो कतई संभव नहीं है।’ संहिता बताती हैं कि अच्छी बात ये रही कि परिवार का कोई भी सदस्य विरोध में सामने नहीं आया। लेकिन वह आश्वस्त थी, ‘मैं उसे फिर से जीने का मौका देना चाहता था।’
अक्टूबर में बांसवाड़ा से 55 वर्षीय केजी गुप्ता ने संहिता से संपर्क किया और शादी की इच्छा जताई। राजस्व इंस्पेक्टर के पद पर तैनात केजी गुप्ता की पत्नी का निधन कैंसर के चलते 2010 में हो गया था। गुप्ता ने बताया कि अकेलापन दूर करने के लिए पहले तो उन्होंने खुद को बैडमिंटन में व्यस्त रखने की कोशिश की थी। लेकिन अब स्वास्थ्य की भी समस्याएं पैदा होने लगी हैं। एक साथी ने उन्हें फिर से शादी करने की सलाह दी और मैट्रिमोनियल साइट पर एक प्रोफाइल तैयार कर दिया। गुप्ता के दो बेटे भी हैं।
और लौटाई मां के चेहरे पर मुस्कान
संहिता से जब केजी गुप्ता ने संपर्क किया तो पूरी छानबीन करने के बाद उसने पाया कि यही उनकी मां के लिए सही मैच हो सकता है। नवंबर में गीता का एक ऑपरेशन हुआ था, इस दौरान केजी गुप्ता उन्हें देखने के लिए जयपुर आए और गीता को शादी के तैयार किया। अंत में 31 दिसंबर को दोनों की शादी हो गई। संहिता ने इस शादी पर कहा, ‘वह अपनी मां के चेहरे पर मुस्कान देखकर बहुत खुश है। वह फिर से खूबसूरत दिखने लगीं हैं।’
(साभार- जी न्यूज)