एक ऐसा देश जिसे स्थाई संविधान पाने के लिए करना पड़ा 26 वर्षों का संघर्ष, जानें इसके पीछे का इतिहास

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14 अगस्त 1947 वैश्विक इतिहास की वो तारीख है जो हर भारतवासियों के जहन में एक धुंधला अध्याय संजोए हुए है, जब एक देश रातों – रात 2 हिस्सों में बट गया था । लाखों लोगों को अपने घर, जायदाद और परिवार को अकेला छोड़कर जाना पड़ा।

– दरअसल आजादी से पहले ही मुस्लिम लीग के मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में देश के मुसलमान अपने लिए एक अलग देश की मांग कर रहे थे. यही वजह है कि भारत की आज़ादी के एक दिन पूर्व ही 14 अगस्त 1947 को ब्रिटिश लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा पाकिस्तान को एक अलग देश घोषित कर दिया गया।

पाक ने संवैधानिक ढांचों के सशक्तिकरण का नहीं किया प्रयास :-

– बटवारे और आजादी के बाद पाकिस्तान ने अपना ध्यान मूलभूत सुविधाओं के उत्सर्जन में नहीं लगाया, जिसके परिणामस्वरूप देश में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और उनके लिए संस्थाओं का गठन करने में विफल होने लगा ।

– आजाद होते ही वह आंतरिक कलेश और अव्यवस्थाओं में के दलदल में धसता चला गया । एक तरफ 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के अथाह परिश्रम के बाद 1950 में विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान अपनाकर भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बन गया, तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को अपना संविधान बनाने में ही पूरे 26 साल का लंबा वक्त लगा जिसमें भी वह पूर्णतः सफल नहीं हो सका।

संविधान को लागू करने में असमर्थ रहा पाक, अनेकों विवाद और विरोध के बीच फेरबदल में उलझा रहा कानून :-

-सन 1956 में इस्कंदर मिर्ज़ा ने पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया, लेकिन राष्ट्रीय कूटनीति और न्यायिक मामलों में उनकी लगातार असंवैधानिक भागीदारी के कारण, चार निर्वाचित प्रधानमंत्रियों को मात्र 2 सालों में ही बर्खास्त कर दिया गया। जनता के दबाव के तहत, राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने 1958 में तख्तापलट को वैध ठहरा दिया जिसके कारण संविधान केवल 3 वर्ष के लिए ही चल पाया और इस प्रकार यह संविधान भी लगभग निलम्बित हो गया।

-अगर गौर किया जाए तो पाकिस्तान के आजाद होने के 9 साल बाद वहां देश के संविधान का पहला भाग 23 मार्च 1956 को लागू किया गया था, यही कारण है कि पाकिस्तान के पहले संविधान के पारित होने के उपलक्ष्य में हर साल 23 मार्च को ही पाकिस्तान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

-यही वो दिन है जब आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को एक इस्लामी गणराज्य भी घोषित किया गया था, लेकिन पाकिस्तान के संविधान में लगातार फेरबदल होता रहा ।। लेकिन 1956 तो सिर्फ़ एक झांकी थी, इसके बाद 1962 में, फिर सात साल बाद 26 मार्च 1969 में देश के संविधान में संशोधन हुआ।

1970 के संवैधानिक संकट के बाद क्या हुआ, आखिरकार कब और कैसे लागू हुआ था मौजूदा संविधान :-

-पाकिस्तान में आए 1970 के संवैधानिक संकट के बाद वहां के प्रधानमंत्री नूर उल अमीम के नेतृत्व में आई नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी नए संविधान की रूपरेखा तैयार करना, 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1972 को 1970 के चुनाव के आधार पर विधायिका बनाई गई फिर 10 अप्रेल 1973 को समिति द्वारा संविधान के संदर्भ में अपनी रिपोर्ट पेश की, तब 14 अगस्त 1973 को जुल्फिकार भुट्टो के प्रधान मंत्री और चौधरी फजल-ए-इलाही के द्वारा राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालाने के साथ ही साथ पाकिस्तान में नया संविधान लागू कर दिया गया।

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