जहाज के पास नहीं था उड़ान योग्यता का सर्टिफिकेट

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एक 26 साल पुराना चार्टेड एयरक्राफ्ट जुहू एयरपोर्ट पर उतरने ही वाला था। लेकिन गुरुवार अपनी इस टेस्ट फ्लाइट के दौरान यह मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाके, घाटकोपर में निर्माणाधीन इमारत के करीब खाली जगह पर क्रैश हो गया।

इस हादसे में चार क्रू सदस्यों के अलावा एक राहगीर की मौत हो गई। अगर यह सी90 एयरक्राफ्ट, जिसने जमीन से करीब 700 फुट की ऊंचाई पर कंट्रोल खो दिया था आसपास की किसी ऊंची इमारत से टकरा जाता तो हादसा बहुत भयानक हो सकता था।

फ्यूल टैंक में आग लगने से गोविंद दुबे की भी मौत हो गई

विमान के दोनों पायलट, कैप्टन प्रदीपर राजपूत और कैप्टन मारिया जुबेरी के साथ ही मेनटेनंस इंजिनियर सुरभि गुप्ता और जूनियर तकनीशियन मनीष पांडे की इस हादसे में घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इसके अलावा हवाई जहाज क्रैश होने के बाद फ्यूल टैंक में आग लगने से गोविंद दुबे की भी मौत हो गई। हादसे के वक्त इमारत में काम कर रहे 35 मजदूर लंच ब्रेक के दौरान बिल्डिंग के बेसमेंट में खाना खा रहे थे।

10 मिनट पर चश्मदीदों ने चलता हुआ जहाज नीचे गिरते देखा

ग्राउंड फ्लोर पर काम कर रहे दो मजदूर इस दुर्घटना में घायल हो गए। यह एयरक्राफ्ट करीब नौ साल तक ग्राउंडेड रहने के बाद अपनी पहली उड़ान पर था। माना जा रहा है कि हादसे की वजह तकनीकी खामी रही होगी। पायलटों ने मुंबई एयर ट्रैफिक कंट्रोल को कोई चिंताजनक या ‘Mayday’ (एक अंतरराष्ट्रीय रेडियो संकट सिगनल, जो जल और वायुयानों द्वारा प्रयोग किया जाता है।) कॉल नहीं दी। दोपहर करीब 1 बजकर 10 मिनट पर चश्मदीदों ने चलता हुआ जहाज नीचे गिरते देखा।

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घटनास्थल के करीब ही रहने वाले दो युवा प्रत्यक्षदर्शियों, नामी और मलय शाह ने बताया कि हम ऑटोरिक्शा का इंतजार कर रहे थे, जब हमने जलता हुआ हवाई जहाज नीचे गिरता हुआ देखा। कुछ ही सेकंड में यह नीचे गिरा और धुएं में बदल गया। उन्होंने तीन धमाके सुनने की बात भी कही।

इस जहाज ने दोपहर 12.20 पर पूजा के बाद जुहू वहाई अड्डे से उड़ान भरी थी। मुंबई और यूपी के सूत्रों का कहना है कि 2009 में एक क्रैश के बाद इस जहाज को काफी नुकसान पहुंचा था, उसके बाद यह अपनी पहली उड़ान पर था।

जहाज को आखिर 20-14 में बेचने में कामयाबी मिली

उत्तर प्रदेश सरकार के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘यह जहाज यूपी सरकार का था। कैबिनेट ने इसकी मरम्मत पर काफी पैसा खर्च करने के बजाए इसे डिस्पोज करने का फैसला किया।’ तीन असफल बोलियों के बाद आखिर इस जहाज को आखिर 20-14 में बेचने में कामयाबी मिली। इसे खरीदने वाली पुणे की एक कंपनी ने बाद में मुंबई स्थित यू वाई एविएशन प्राइवेट लिमिटेड को इसे बेच दिया। यह कंपनी ही जहाज की मौजूदा मालिक थी।

यूवी एविशन के अकाउंटेबल मैनेजर, अनिल चौहान ने कहा कि जहाज करीब डेढ़ साल से मैनटेनंस कंपनी इंडैमर (Indamer) के हैंगर (जहां जहाज खड़े किए जाते हैं) में था। उनसे जब पूछा गया कि जहाज को आखिरी बार कब उड़ाया गया था तो उन्होंने कहा, ‘यह पहले यूपी सरकार के पास था और इसे शायद छह साल पहले उड़ाया गया हो।’

चौहान ने कहा, ‘हालांकि जहाज के मालिक हम हैं लेकिन यह इंडैमर कंपनी की निगरानी में था। यह जहाज अभी हमें सौंपा नहीं गया था, इसके पास उड़ान-योग्यता का सर्टिफिकेट नहीं था।

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