बिहार में आम आदमी पार्टी बनायेगी प्रशांत किशोर को अपना सियासी चेहरा?

0

बिहार में आगामी आठ माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में दिल्ली के बाद बिहार में सियासी गतिविधियां तेज हो गयी हैं।

लोग शपथग्रहण के समय केजरीवाल द्वारा दिये गये इस लाइन को याद कर रहे हैं—
‘गांव में फोन कर बता देना…’। केजरीवाल की इस लाइन में छुपा है उनका अगला टारगेट।

नवभारत टाइम्स लिखता है—भाषण के दौरान करीब दो मिनट तक दिल्ली वालों को धन्यवाद बोलने के बाद सीएम केजरीवाल ने कहा, ‘सब लोग अपने-अपने गांव में फोन करके बता देना, हमारा बेटा सीएम बन गया है, अब चिंता की बात नहीं है।’

तीसरी बार दिल्ली में सरकार बन चुकी है

अखबार लिखता है—आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में लगातार दूसरी बार प्रचंड जीत दर्ज की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में लगातार तीसरी बार दिल्ली में सरकार भी बन चुकी है। इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो चुकी है आखिर यह पार्टी आगे क्या करने वाली है। लगातार दो बार इतनी बड़ी जीत दर्ज करने के बाद तय माना जा रहा है कि सीएम केजरीवाल पार्टी के विस्तार के लिए कुछ न कुछ तो करेंगे। ऐसे में तत्काल अगला सवाल आता है कि सीएम केजरीवाल अब किस राज्य में पार्टी को लेकर आगे बढ़ेंगे। इस सवाल का जवाब अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण के बाद दिए गए भाषण में प्रयोग हुए शब्दों से लगाया जा सकता है।

20 मिनट के भाषण में केजरी ने दिए संदेश

रविवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में अरविंद केजरीवाल ने करीब 20 मिनट दिल्ली वालों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भाषण की शुरुआत में ही एक ऐसी लाइन बोल गए जिससे उनके आगे की राजनीतिक दिशा का अनुमान लगाया जा सकता है। भाषण के दौरान करीब दो मिनट तक दिल्ली वालों को धन्यवाद बोलने के बाद सीएम केजरीवाल ने कहा, ‘सब लोग अपने-अपने गांव में फोन करके बता देना, हमारा बेटा सीएम बन गया है, अब चिंता की बात नहीं है।’

फोन कर बता देना…केजरीवाल के निशाने पर बिहार

सीएम केजरीवाल की ओर से कही गई इस बात के मायने निकाले जाएं तो साफ है कि उनका फोकस बिहार विधानसभा चुनाव पर है। हाल फिलहाल में बिहार में ही चुनाव होने हैं। वहीं दिल्ली में बिहार के लोगों की अच्छी खासी आबादी है। दिल्ली की जनसंख्या करीब 2 करोड़ है, जिसमें बिहार के करीब 15-17 लाख लोग रहते हैं। सीएम केजरीवाल अपने भाषण के जरिए इन्हीं लोगों को संदेश दे रहे थे कि वह अपने घर वालों को दिल्ली में हुए कामों के बारे में बताएं। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि आम आदमी पार्टी (AAP) बिहार चुनाव में भाग्य आजमाने की तैयारी में है।

क्या बिहार में प्रशांत किशोर बनेंगे AAP का चेहरा?

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल हो गए थे। राजनीति में किसी भी प्रकार के अनुभव के बिना ही उन्हें पार्टी में महासचिव जैसा बड़ा पद दे दिया गया था। हालांकि पार्टी के अंदर लोग प्रशांत को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। कई मसलों पर प्रशांत पार्टी लाइन से हटकर बयान देते रहे। आखिरकार इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें जेडीयू से निकाल दिया गया। अब राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि आप प्रशांत को चेहरा बनाकर बिहार में भाग्य आजमाने उतर सकती है। इस बार प्रशांत ने दिल्ली चुनाव में आप के लिए काम किया था।

बिहार को क्यों चुन रही है AAP

साल 2012 में बनी आम आदमी पार्टी इतने कम समय में ही दिल्ली में तीन बार सरकार बना चुकी है। इसके अलावा यह पार्टी कहीं और सफल नहीं हो पाई है। पंजाब विधानसभा चुनाव में आप नंबर दो पर रही तो गोवा में पार्टी का अच्छा अनुभव नहीं रहा। दिल्ली में लगातार तीसरी बार जीत से उत्साहित आप अब बिहार में नए प्रयोग करना की चाह रखती है।

बिहार में आप देगी मजबूत विकल्प!

मौजूदा दौर में नीतीश कुमार राज्य में इकलौता चेहरा बनकर रह गए हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव परिणाम से स्पष्ट हो चुका है कि बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अकेले दम पर सरकार बनाने में सक्षम नहीं है। वहीं लालू यादव की पार्टी का भी जनता के मन में इतना भरोसा नहीं है कि उन्हें अकेले दम पर बहुमत मिल जाए। कुल मिलाकर हालात यह है कि बिहार में जो भी दो पार्टियां मिलकर लड़ेंगी उसकी ही सरकार बनेगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी भली-भांति समझती है कि अगर बिहार में कोई तीसरा मजबूत विकल्प दिया जाए तो यहां बदलाव दिख सकता है।

आप की यह है रणनीति

इस वक्त देश की राजनीति पर गौर करें तो पता चलता है कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। कई ऐसे मसले हैं जिनपर देश का बड़ा वोटबैंक कांग्रेस के विरोध में अपना मत देती है। इन्हीं वोटरों के सामने आम आदमी पार्टी विकल्प के रूप में खुद को पेश करने की कोशिश में है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर में भाग्य आजमाने पर लोगों ने AAP को पूरी तरह से नकार दिया था। अब आप एक-एक राज्य से अपने जनाधार को बढ़ाने की रणनीति पर चल रही है।

केंद्र में चमकने को बिहार, यूपी में जीत जरूरी

इस देश के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो समझ पाएंगे कि यहां केंद्रीय स्तर पर अगर किसी भी पार्टी को मजबूत होना है तो उसे उत्तर प्रदेश और बिहार में मजबूत होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश जितने बड़े राज्य में किसी भी नई पार्टी के लिए अचानक से उतरना मुश्किल भरा फैसला हो सकता है, ऐसे में बिहार का विकल्प ज्यादा माकूल नजर आता है।साभार एनबीटी

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More