मिलिए वाराणसी के अर्जुन से जिनकी कमान से निकला तीर कभी नहीं चूकता
अब आपको मिलाते हैं वाराणसी के अर्जुन से। तीरंदाजी के क्षेत्र में अर्जुन ने अपना झंडा बुलंद किया है। अर्जुन ने चीन में आयोजित वर्ल्ड कप तीरंदाजी में सिल्वर मेडल जीता है।
ये हैं वाराणसी के आदित्य सिंह उर्फ अर्जुन।
इनके नाम के साथ मां बाप ने अर्जुन यूं ही नहीं लगाया है बल्कि इसके पीछे इनकी काबलियत है।
कद काठी में अर्जुन भले ही छोटे छोटे हो लेकिन इनका हौसला बड़े-बड़े को मात दे देता है।
इनकी कमान से निकला तीर कभी चूकता नहीं है।
6 साल के अर्जुन ने चीन में आयोजित वर्ल्ड कप तीरंदाजी में रजत पदक जीतकर भारत का नाम रौशन किया है।
फिल्म बाहुबली से मिली प्रेरणा-
अर्जुन सिर्फ 3 साल की उम्र से ही तीरंदाजी सीख रहे हैं।
उनके तीरंदाज बनने के पीछे की कहानी बहु दिलचस्प है।
अर्जुन बताते हैं कि बाहुबली फिल्म देखने के बाद उन्होंने तीरंदाज बनने का फैसला किया।
कहते है ना पूत के पांव पालने में ही समझ में आ जाते हैं।
ऐसा ही कुछ अर्जुन के साथ भी है।
अर्जुन की मां शशिकला कहती हैं कि अपनी जिद्द और जुनून की बदौलत अर्जुन तीरंदाज बना है।
चाहे प्रचंड ठंडी हो या गर्मी चाहे बरसात।
अर्जुन कभी ट्रेनिंग मिस नहीं करता।
तीरंदाजी को लेकर उसका ये लगन कोच को भी प्रभावित करता है।
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