मिनी ट्रक को कैफे में तब्दील कर युवाओं का भविष्य संवारने में लगे ‘अलीश बाबू’
तेलंगाना के खम्मम जिले में एक मिनी ट्रक पूरा दिन घूमती रहती है। ट्रक में होता है साइबर कैफे, जिसके जरिये युवा इंटरनेट सुविधा प्राप्त करते हैं और नौकरी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि ये सकारात्मक पहल अलीश बाबू नाम के व्यक्ति ने शुरू की है। उन्होंने अपने एक छोटे से प्रयास से सैकड़ों युवाओं की जिंदगी बदल दी है। अलीश ने एक मिनी ट्रक को इंटरनेट कैफे का रूप दिया, जो शहर की गलियों में घूमती है।
खुद के अनुभव से शुरू किया मोबाइल साइबर कैफे:
बता दें कि अलीश (30) ने ऐसा अपने साथ हुई एक अप्रिय घटना के बाद किया। दरअसल, कुछ समय पहले अलीश को एक जॉब इंटरव्यू का कॉल आया। वह इंटरव्यू के लिए पहुंच गए। उन्हें वहां अपने एक कागज की फोटोकॉपी की जरूरत थी, लेकिन काफी ढूंढ़ने पर भी आसपास कोई दुकान नहीं मिली। एक दुकान मिली भी, लेकिन बिजली नहीं होने के कारण वह फोटोकॉपी नहीं करवा सके। लिहाजा, अलीश बाबू को नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
साढे़ छह लाख रुपये का किया निवेश
इसके बाद अलीश बाबू ने तय कर लिया कि जो उनके साथ हुआ वो किसी अन्य के साथ न होने पाए। फिर क्या था, अलीश ने एक ‘मोबाइल इंटरनेट कैफे’ की शुरुआत की। इसके लिए अलीश ने एक मिनी ट्रक खरीदा और साढे़ छह लाख रुपये के निवेश से पहियों पर दौड़ने वाला साइबर कैफे तैयार किया। कैफे इनवर्टर से चलता है।
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एमटेक हैं अलीश बाबू:
बता दें कि अलीश बाबू एमटेक पास हैं। अपने मोबाइल कैफ़े के लिए उन्होंने बैंक से कर्ज लिया। उनके साइबर कैफे में इंटरनेट सुविधा के अलावा, फोटोकॉपी मशीन और एक प्रिंटर भी है। इसके साथ ही रेलवे टिकट की बुकिंग, पैसे ट्रांसफर और फोन रिचार्ज भी किया जाता है।
जहां होने होते हैं जॉब इंटरव्यू वहां पहुंच जाती है मोबाइल वैन:
शहर में कहाँ, उनके कैफे की जरूरत ज्यादा है, इसका पता लगा कर अलीश अपने मोबाइल कैफे को वहां तक पहुंचाते हैं। इसके लिए अलीश हर दिन ध्यान से अखबार पढ़ते हैं। शहर में जहां भी जॉब इंटरव्यू हो रहे होते हैं, वहीं मोबाइल कैफे पहुँच जाता है।
वैसे अलीश इसके जरिये प्रति माह लगभग 30 हजार रुपये अर्जित कर लेते हैं। हांलांकि, इस कमाई का एक बड़ा हिस्सा वह ईएमआई भरने और गाड़ी के लिए डीजल खरीदने में खर्च कर देते हैं।