असम की तरह दिल्ली में भी NRC की जरूरत, हालात बेहद खतरनाक

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नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप को लेकर अब असम की तरह दिल्ली में भी जरूरत है। इसकी अंतिम सूची का प्रकाशन शनिवार को कर दिया गया। ​सूची प्रकाशन के बाद अब असम में ही 41 लाख लोगों के भाग्य का फैसला होगा। वहीं, दिल्ली के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने यह मांग कि है, असम की तरह दिल्ली में भी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप की जरूरत है।

एक नामी एजेंसी से बात करते हुए सांसद मनोज तिवारी ने यह कहा कि दिल्ली के हालात बहुत ही खरनाक हैं। यहां पर भी असम की तरह बड़ी संख्या में बाहरी लोग रह रहे हैं। इसलिए यहां भी जल्द ही एनआरसी लागू होगा। बता दें कि इससे पहले मनोज तिवारी ने कहा था कि रोहिंग्या घुसपैठियों के हमले से दिल्ली में लोग लगातार डर के साए में जी रहे हैं। यहां भी नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटिजंस कानून लागू होना चाहिए। जिससे लोग बिना किसी भय के रह सकें।

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उन्होंने कहा था कि इस बात की जानकारी मिली है, हमला करने वाले रोहिंग्याओं की तरह बात कर रहे थे। गौरतलब है कि यहां पहली बार 1951 में एनआरसी असम में तैयार किया गया था। जिसका अर्थ असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों से है। उस वक्त मणिपुर और त्रिपुरा को भी केंद्र ने एनआरसी तैयार करने के लिए अनुदान दिया था। हालांकि, इस पर कभी भी काम नहीं किया गया। असम ही अकेला ऐसा राज्य है, जिसके पास अपना एनआरसी है।

शिवानी अवस्थी 

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