विदेश तक पहुंचेंगी राजमार्ग और सड़क परियोजनाएं

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सड़कों और राजमार्गो के निर्माण से संबंधित परियोजनाओं को विदेशों तक, विशेषकर दक्षिण एशिया तक पहुंचाने के लिए सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की एक समर्पित अंतर्राष्ट्रीय सहायक कंपनी का शुभारंभ करने की योजना बना रही है।

इसके साथ ही, भारत पड़ोसी देशों में सड़क निर्माण हेतु संयुक्त उद्यम (जेवीएस) की स्थापना की भी कोशिश कर रहा है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय विदेशों में सड़कों और राजमार्गो के निर्माण संबंधित परियोजनाओं के लिए “एनएचएआई इंटरनेशनल” शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की सहायक कंपनी का निर्माण स्पेशल पर्पज व्हिकल (एसपीवी) के रूप में हो सकता है, जो अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं लाने के मकसद से विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकती है। गडकरी ने कहा कि अपने पड़ोसी देशों ईरान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारत सड़क निर्माण कार्यो में शामिल होने का इच्छुक है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने एक साक्षात्कार में कहा, “हम अपने पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका में सड़क निर्माण जैसे संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा दे रहे हैं। इस क्रम में श्रीलंका ने पहले ही उत्तरी श्रीलंका में हमारे लिए कुछ सड़क परियोजनाओं को आवंटित करने हेतु सहमति जता दी है।”

गडकरी ने कहा, “चाबहार बंदरगाह संबंधित परियोजनाओं के विकास हेतु हमारी योजना ईरान में सड़क परियोजनाओं को बढ़ावा देने की है।” उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर मंत्रालय की योजना प्रतिदिन 40 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य पूरा करने की है।

गडकरी ने कहा, “अगर मैं दो किलोमीटर प्रतिदिन सड़क निर्माण कार्य की शुरुआत कर तीन साल में 23 किलोमीटर प्रतिदिन तक सड़क निर्माण की उपलब्धि हासिल कर सकता हूं, तो ऐसी कोई वजह नहीं है कि मैं अगले साल या उसके अधिक समय में प्रतिदिन 40 किलोमीटर सड़क निर्माण के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता।”

उन्होंने कहा, “सड़क, राजमार्गो, सुरंग, पुल जैसे कार्यो का पूरा होना मौसम की स्थितियों और स्थानीय मुद्दों सहित कई अन्य चीजों पर भी आधारित होता है।” विभिन्न अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में भारत का सबसे लंबा सड़क नेटवर्क है, जो पांच लाख किलोमीटर से अधिक है। इस नेटवर्क में राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रमुख जिला सड़क और ग्रामीण सड़क शामिल हैं।

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अत्यधिक यातायात और अभिगम नियंत्रण उपायों की अनुपलब्धता के कारण इन राजमार्गो पर परिवहन की औसत गति धीमी है और मालवाहक ट्रक प्रति दिन केवल 225-250 किलोमीटर की यात्रा कर पाते हैं।

राष्ट्रीय राजमार्गो की लंबाई को दो लाख किलोमीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य है, लेकिन भूमि अधिग्रहण और निजी निवेश कमजोर होने के कारण प्रगति धीमी हो गई है। केंद्रीय बजट (2017-18) में सड़कों और राजमार्गो के लिए एनएचएआई को 64,000 करोड़ रुपये (9.55 अरब डॉलर) और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लिए 27,000 करोड़ रुपये (4.03 अरब डॉलर) आवंटित किया गया है।

तीन साल के कार्यकाल के दौरान गडकरी ने 400 परियोजनाओं की बात कही थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण और वन मंजूरी से संबंधित समस्याओं और रेल ओवर पुलों से संबंधित समस्याओं के कारण सड़का निर्माण की प्रगति धीमी रही है।

गडकरी ने कहा, “उस सयम निराशा और परेशानी का माहौल था। ठेकेदार परियोजनाओं को जारी रखने के लिए तैयार नहीं थे और बैंक एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्तियां) से जूझ रहे थे।”

उन्होंने कहा, “मैंने सभी हितधारकों को प्रोत्साहित किया और राज्य सरकार के अधिकारियों, बैंक प्रबंधकों, एनएचएआई अधिकारियों और ठेकेदारों के साथ आमने-सामने बैठकें कीं।” गडकरी ने कहा, “पिछले तीन साल में हमने संयुक्त रूप से कई मुद्दों को हल किया, सड़क निर्माण में आ रही दिक्कतों को दूर किया और परियोजनाओं को वापस विकास के राह पर लेकर आए। अब शायद ही कोई परियोजना रुकी हुई होगी।”

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