#अभिनंदन : जेनेवा संधि का खुला उल्लंघन कर रहा है पाकिस्तान, पढ़े क्या है संधि

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पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने भारतीय सीमा में घुसकर हमला कर दिया था। जिसका भारतीय सेना ने मुंह तोड़ जवाब दिया था। इस दौरान भारत का एक विमान ध्वस्त हो गया और एक पायलट लापता है। जिस पाकिस्तान दावा कर रहा है कि पायलट उसके पास है।

भारत ने पाकिस्तान के विमान एफ16 को भारतीय सेना ने ध्वस्त कर दिया था। पाकिस्तान ने दावा किया कि अभिनंदन उनके कब्जे में हैं और उनके कुछ फोटोज व विडियो भी जारी किए। विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के के विडियो को पाकिस्तान ने सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया, जो जिनीवा कन्वेंशन का खुला उल्लंघन है।

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भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही युद्ध न छिड़ा हो, फिर भी अभिनंदन उन सभी अधिकारों के हकदार हैं, जो जेनेवा कन्वेंशन के तहत प्रिजनर ऑफ वॉर (PoW) यानी एक युद्धबंदी को मिलती हैं।

PoW के साथ किस तरह का व्यवहार होना चाहिए, इसके बारे में 1949 का जिनीवा कन्वेंशन साफ-साफ कहता है कि यह उन सभी मामलों में लागू होता है, चाहे घोषित युद्ध का मामला हो या नहीं। इस तरह, पाकिस्तान को विंग कमांडर अभिनंदन को हर हाल में छोड़ना ही होगा, क्योंकि पाकिस्तान ने भी जिनीवा कन्वेंशन पर दस्तखत किए हैं।

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पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है

भारतीय युद्धबंदियों के साथ पाकिस्तान के व्यवहार का ट्रैक रेकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। 1999 के करगिल संघर्, के दौरान इंडियन एयरफोर्स के पायलट अजय आहुजा अपने विमान से सुरक्षित कूद चुके थे। भारत का दावा है कि पाकिस्तानी सेना ने उनकी हत्या कर दी थी। इसी तरह एक और पायलट नचिकेता को भी पाकिस्तानी सेना ने अगवा कर लिया था। हालांकि, बाद में जिनीवा कन्वेंशन को लेकर भारत के दबाव के बाद पाकिस्तान को आखिरकार 8 दिनों बाद नचिकेता को भारत को लौटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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जेनेवा संधि के तहत, युद्धबंदियों को न तो डराया-धमकाया जा सकता है और न ही अमानवीय व्यवहार किया जा सकता है। आज हम इसी जेनेवा कन्वेंशन यानी जिनीवा संधि के बारे में बात करेंगे।

आइए जानते हैं कि जिनीवा कन्वेंशन आखिर है क्या:

1- POW (प्रिज़नर्स ऑफ वॉर) यानी युद्धबंदियों के अधिकारों और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए जिनीवा कन्वेंशन में कुछ नियम बनाए गए हैं।

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2- जेनेवा कन्वेंशन में तीन संधियां और 3 अतिरिकत (अडिशनल) प्रोटोकॉल्स हैं, जिनका मकसद मानवीय मूल्यों को बनाए रखने व उनकी रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून बनाना है। जिनीवा संधि की जो व्यवस्था आज दुनिया भर में मान्य है उसकी नींव 1929 और 1949 के जेनेवा कन्वेंशन के तहत रखी गई, जिनमें पहले की संधियों की मुख्‍य बातों को शामिल कर लिया गया।

3- जेनेवा कन्वेंशन के मुताबिक, टीवी पर अगर युद्धबंदियों के चित्र, विडियो या उनसे जुड़ी अन्य चीजें दिखाई जाती हैं तो यह जिनीवा कन्वेंशन का उल्लंघन है। अभिनंदन के मामले में पाकिस्तान पहले ही ऐसा कर चुका है और इस हिसाब से अब उसे अभिनंदन के साथ जिनीवा कन्वेंशन को ध्यान में रखकर ही बर्ताव करना होगा।

4- जेनेवाकन्वेंशन में साफ-साफ बताया गया है कि युद्धबंदियों के क्या अधिकार हैं। इसके मुताबिक, युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जाएगा। उसे किसी भी तरह से प्रताड़ित या फिर शोषित नहीं किया जाएगा।

5- इस कन्वेंशन के तहत, पकड़े जाने पर युद्धबंदी सिर्फ अपना नाम, अपना सीरियल नंबर और पोज़िशन ही बता सकता है ताकि वह किसी खतरे की चपेट में न आए।

6- जेनेवा कन्वेंशन के तहत कोई भी देश अपने युद्धबंदी को न तो अपमानित कर सकता है और न ही डरा-धमका सकता है।

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7- हिरासत में लेने वाला देश युद्धबंदी के खिलाफ संभावित युद्ध अपराध के लिए मुकदमा चला सकता है, लेकिन हिंसा की कार्रवाई के लिए नहीं जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत विधिपूर्ण है।

8- कन्वेंशन कहता है कि युद्ध खत्म होने पर युद्धबंदी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और उसे उसके देश भेजा जाना चाहिए।

9- कोई देश युद्धबंदी से उसकी जाति, धर्म या रंग-रूप के बारे में नहीं पूछ सकता और अगर कोशिश की भी जाए तो युद्धबंदी अपने नाम, सर्विस नंबर और रैंक के अलावा कुछ भी अन्य जानकारी नहीं देगा।

10- युद्धबंदियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। कन्वेंशन के अनुच्छेद 3 के अनुसार, युद्धबंदियों का सही तरीके के इलाज किया जाएगा।

11- कोई भी देश अपने युद्धबंदी के साथ ऐसा काम नहीं कर सकता जिससे कि जनमानस के बीच किसी तरह की उत्सुकता पैदा हो।

12-जेनेवा कन्वेंशन के तहत युद्धबंदी को उचित खाना-पीना दिया जाता है और उसकी हर तरह से देखभाल की जाती है।

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