विपक्ष की मीटिंग में नहीं गये नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विपक्ष की एकता को प्रदर्शित करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित बैठक में शामिल होने से भले ही इनकार कर दिया हो, लेकिन शनिवार को वह मॉरीशस के प्रधानमंत्री के स्वागत के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से दिए जाने वाले भोज में शामिल होंगे। जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने यहां शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शनिवार दोपहर को भोज का आायोजन किया गया है, जिसमें मुझे भी आमंत्रित किया गया है। इस भोज में मैं बतौर बिहार के मुख्यमंत्री शामिल होऊंगा।”
उन्होंने कहा कि मॉरीशस के 50 प्रतिशत लोग बिहार के ही मूल निवासी हैं, इस कारण वहां के लोगों को बिहार से अगाध प्रेम है।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ भारत की तीन दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंच गए हैं।
इससे पहले, शुक्रवार को सोनिया गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए। जद (यू) की ओर से इस बैठक में पूर्व अध्यक्ष शरद यादव शामिल हुए।
सोनिया की बुलाई बैठक में नीतीश कुमार की अनुपस्थिति पर पार्टी की ओर से कहा गया कि कई सरकारी कार्यो में व्यस्तता के कारण नीतीश इस बैठक में शामिल नहीं हो पाए।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दिए भोज में हिस्सा न लेने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सफाई दी है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि लंच पर मेरी गैरमौजूदगी का गलत मतलब निकाला गया। उन्होंने कहा कि जेडीयू नेता शरद यादव उस लंच मीटिंग में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
नीतीश ने पटना में पत्रकारों से कहा, ‘मैं सोनिया जी से अप्रैल में ही मिल चुका था और जिन मुद्दों पर इस बार चर्चा होनी थी उन पर पहले ही चर्चा कर चुका था। इस बार उन्होंने सभी पार्टियों को लंच पर बुलाया था। हमारी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव जेडीयू की तरफ से लंच में गए थे। ऐसी कोई बात नहीं है कि मैंने लंच से दूरी बनाई। यह सिर्फ इसकी गलत व्याख्या है।’
दरअसल राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को विपक्षी पार्टियों के साथ लंच पर एक अहम बैठक की। इस मीटिंग में कांग्रेस के अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियों ने शिरकत की। क्षेत्रीय राजनीति में ‘दुश्मन’ माने जाने वाली पार्टियों को एक मंच पर लाने की सोनिया की कोशिश कामयाब रही। यूपी से बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के अलावा पश्चिम बंगाल से तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी और लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और अन्य लेफ्ट नेताओं की एक साथ मौजूदगी राजनीतिक नजरिए से बेहद अहम मानी जा रही है। हालांकि नीतीश की गैरमौजूदगी से तमाम तरह की अटकलें भी लग रही हैं।
कांग्रेस की ओर से सोनिया के अलावा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद जैसे नेता मौजूद थे। सीपीएम से पी करुणाकरन और सीपीआई से डी राजा, एआईयूडीएफ से बदरुद्दीन अजमल, केरल कांग्रेस के जोस के मनी, जेएमएम से राज्यसभा सांसद संजीव कुमार, आरजेडी से लालू यादव, डीएमके से कनिमाई, नेशनल कॉन्फ्रेंस से उमर अब्दुल्ला, एनसीपी से शरद पवार, जेडीयू से शरद यादव और केसी त्यागी, आरएसपी से एनके प्रेमचंद्रन आदि नेता पहुंचे।
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