अखिलेश और मायावती ने कहा, जस भाजपा तस कांग्रेस
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक साथ कांग्रेस और भाजपा (BJP) पर निशाना साधा है उन्होंने कहा कि जैसी भाजपा है वैसी कांग्रेस है।
अखिलेश ने रैली में कहा कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का नजरिया एक जैसा ही है। जैसी कांग्रेस है वैसी ही भाजपा। वहीं दूसरी तरफ मायावती ने रायपुर में कहा कि बीजेपी और कांग्रेस एक समान पार्टी है। एक सांपनाथ है तो दूसरी नागनाथ है।
नोटबंदी का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि, भाजपा और कांग्रेस का नजरिया इस मुद्दे पर एक जैसा है। सच तो यह है कि काले धन को बैंकों में जमा कराया गया। जिन लोगों का काला धन बैंक में जमा हुआ, वह अपने रुपए लेकर विदेश भाग गए। आप देख सकते हैं कि कितने लोग विदेशों की तरफ रुख कर चुके हैं। नोटबंदी की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि, कांग्रेस और भाजपा में किसी तरह का अंतर नहीं है। जो बीजेपी है वही कांग्रेस है, जो कांग्रेस है, वही बीजेपी है।
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच गठंधन 11 दिसंबर को आनेवाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे की घोषणा के बाद किया जा सकता है। पूरे मामले से वाकिफ बीएसपी सूत्र ने इस बात की जानकारी दी है।
बीएसपी सुप्रीम मायावती ने छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या कांग्रेस के साथ किसी तरह के संभावित गठबंधन से इनकार किया है। उन्होंने कहा- “छत्तीसगड़ में बीएसपी-जेसीसी गठबंधन पूर्ण बहुमत हासिल करेगा।”
अपना नाम न बताने की शर्त पर बीएसपी नेता ने कांग्रेस और बीजेपी को गरीब और दलित विरोधी बताते हुए कहा- “बहनजी ने यह साफ कर दिया है कि बीएसपी चुनाव राज्यों और लोकसभा चुनाव में दो पार्टियों के साथ किसी तरह का गठबंधन नहीं करेगी।”
Also Read : बुजुर्गों को तीर्थयात्रा कराएगी ‘केजरीवाल सरकार’
बीएसपी सूत्र ने बताया- सीटों के बंटवारे पर एसपी और बीएसपी के बीच बात चल रही है। उन्होंने आगे बताया कि पांच चुनाव राज्य- छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में परिणाम आने के बाद गठबंधन अपने स्वरूप ले सकता है।
मायावती ने राज्य ईकाई के अपने पार्टी पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वह उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में बैठक करें और सपा-बसपा गठबंधन के बारे में पार्टी कैडर से फीडबैक लेकर उन्हें दें।
बीएसपी सूत्र ने बताया पार्टी के जिला ईकाई के नेताओं को यह निर्देश दिया गया था कि वह अपने कार्यकर्ताओं को बताए कि गठबंधन का यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि पार्टी अपने खाए राजनीतिक जनाधार को वापस हासिल कर सके और बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सके।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)