92वें जन्मदिन पर पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने ली आखिरी सांस
उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री, देश के वरिष्ठ राजनेता नारायण दत्त तिवारी का आज गुरुवार को दिल्ली के मैक्स अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। आज ही उनका जन्म दिन भी था। उनकी उम्र 92 वर्ष थी। वे काफी समय से अस्पताल में भर्ती थे। गुरुवार को दोपहर 3 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली।
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उनके निधन पर ट्वीट करके शोक व्यक्त किया। साथ ही आत्मा की शांति की प्रार्थना की। एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के अलावा उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वे अपने पीछे पत्नी व एक पुत्र छोड़ गये हैं।
एन डी तिवारी का जन्म 18 अक्टूबर 1925 को नैनीताल के बतुली गांव में हुआ था। नैनीताल उत्तर से सोशलिस्ट पार्टी से जीते थे। वो उत्तर प्रदेश के चार बार सीएम रह चुके हैं। इतनी ही नहीं एनडी तिवारी आंध्र प्रदेश के पूर्व गर्वनर थे।18 अक्टूबर 1925 को एन जी तिवारी का जन्म दिन था। 1951 से 52 में पहली बार विधायक बने थे। एनडी तिवारी भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े थे और जेल भी जा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता एनडी तिवारी का गरुवार को 93 साल की उम्र में निधन हो गया है। एनडी तिवारी पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। जिसके बाद गुरुवार को दिल्ली के साकेत में एक प्राइवेट अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनकी अचानक मृत्यु से पूरी राजनीतिक हलको में शौक का माहौल है। गौरतलब है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके दिग्गज नेता एनजी तिवारी ने तीन बार सीएम पद की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने पहली बार बतौर यूपी सीएम 1976-77 तक कांग्रेस सरकार की सत्ता संभाली। जिसके बाद 1984-85 और 1988-89 के दौरान भी उनका कार्यकाल रहा।
विवादों से रहा चोली दामन का साथ
नारायण दत्त तिवारी विवादों में भी घिरे थे। एन डी तिवारी एक सेक्स स्कैंडल में भी फंस चुके थे। एक चैनल में एनडी तिवारी जैसे दिखने वाले एक शख्स को तीन युवा लड़कियों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। चैनल ने एक महिला राधिका को यह कहते दिखाया गया है कि उसने तिवारी के आग्रह पर उनके एक सहयोगी के माध्यम से इन युवतियों को राजभवन भेजा था। उत्तराखंड की रहने वाली इस महिला ने बताया था कि वह यह खुलासा इसलिए कर रही है क्योंकि राज्यपाल ने बदले में उसे आंध्रप्रदेश में लौह अयस्क खदान के लिए लाइसेंस दिलाने का वादा किया था, पर वादा पूरा नहीं किया। इसके बाद एनडी तिवारी का राज्यपाल के पद पर रहना मुश्किल हो गया था। इस मुद्दे को लेकर हैदराबाद स्थित राजभवन पर तिवारी के खिलाफ प्रदर्शन भी किया गया था।
बेटे ने किया था मुकदमा
इसके बाद रोहित शेखर नामक एक युवक ने तिवारी को अपना जैविक पिता बताते हुए उन पर मुकदमा कर दिया था जिसके बाद हुई डीएनए जांच में रोहित का दावा सही पाया गया और तिवारी ही उसके असली पिता निकले।
तो बन जाते पीएम
एनडी तिवारी ने 1995 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी। इसमें वो सफल नहीं रहे। दो साल बाद ही लौट आए, लेकिन इन दो वर्षों के दौरान कांग्रेस में उनके लिए कोई केंद्रीय भूमिका नहीं रह गई थी। नैनीताल सीट से लोकसभा का चुनाव नहीं हारते तो निश्चित रूप से देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी उनके लिए पक्की थी।
उसके बाद कुछ उनकी कुछ कमियों की वजह से भी कांग्रेस पार्टी उन्हें नज़रअंदाज़ करती रही। इतना ही नहीं उनको राष्ट्रपति पद का दावेदार माना जाने लगा लेकिन किसी कारण वश नहीं बनाया गया, फिर कहा गया हो सकता है उपराष्ट्रपति बना दें लेकिन इन्हीं विवादों की वजह से कांग्रेस पार्टी ने खासकर सोनिया गांधी ने उन्हें महत्व नहीं दिया।
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